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Tratak Science and its Benefits (त्राटक विज्ञान एवं इसके लाभ)

Tratak Science and its Benefits (त्राटक विज्ञान एवं इसके लाभ)

🌕 PANCHKOSH SADHNA ~ Online Global Class – 01 Aug 2020 (5:00 am to 06:30 am) – प्रज्ञाकुंज सासाराम – प्रशिक्षक Shri Lal Bihari Singh @ बाबूजी

🙏ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌|

📽 Please refer to the recorded video.

📔 sᴜʙᴊᴇᴄᴛ. त्राटक साधना विज्ञान एवं लाभ

📡 Broadcasting. आ॰ अमन कुमार/आ॰ अंकुर सक्सेना जी

🌞 आ॰ नितिन आहुजा जी (गुरूग्राम हरियाणा).

🌸 मनोमयकोश को परिष्कृत/ उज्ज्वल बनाने हेतु 4 क्रियायोग “जप, ध्यान, त्राटक व तन्मात्रा साधना” हैं।

🌸 दीपक या मोमबत्ती की लौ, बिन्दु, देवता की छवि, दर्पण, शिवलिंग, चन्द्रमा, तारों व उगते हुए सूर्य पर त्राटक किया जा सकता है।

🌸 उगते हुए सूर्य पर त्राटक करना सहज व साधक को प्राणवान बनाते हैं।

🌸 ध्यान के 5 चरण: 1. स्थिति – आसन का चुनाव @ स्थिर शरीर व शांत मन, 2.संस्थिति – इष्ट की छवि का निर्धारण @ ॐ भूर्भुवः स्वः @ कल्पना, 3. विगति – इष्ट देव के गुणों का चिंतन @ बारंबार स्मरण @ जप, 4. प्रगति – इष्ट के साथ हमारा संबंध @ माता/पिता – पुत्र @ भक्त – भगवान @ सविता – साधक @ आत्मा – परमात्मा @ द्वैत, & 5. संस्थिति – इष्ट में विलय @ आत्म परमात्म संयोगो योगः @ सविता साधक एक @ भक्त भगवान एक @ अद्वैत

🌸 त्राटक साधना का पंचकोश पर प्रभाव: 1. अन्नमय – स्वस्थ शरीर, 2. प्राणमय – जीवनी शक्ति का संवर्द्धन, 3. मनोमय – नियंत्रित मन, 4. विज्ञानमय – तत्त्व ज्ञान, 5. आनन्दमय – तत्त्व दर्शन.

🌸 सूर्य त्राटक में भक्ति व शक्ति साधना साथ साथ @ गायत्री साधना + सावित्री साधना @ पंचकोशी साधना + कुण्डलिनी जागरण।

🌸 त्राटक में कल्पना, चिंतन – मनन व निदिध्यासन द्वारा अंतः करण चतुष्टय को परिष्कृत/ उत्कृष्ट बनाया जाता है।

🌸 सूर्य त्राटक करने की विधि व मन के भावों का PPT presentation.

🐵 Vishnu Anand @ अपनों से अपनी बात 🙏

त्राटक = त्रा + टक। त्रा का अर्थ मुक्त करना और टक का अर्थ टकटकी लगाकर देखना।

✍ त्राटक करें अर्थात् यूं देखें की हम मुक्त हो जावें अर्थात् यथार्थ का बोधत्व करें @ तत्त्व दर्शन – त्रिविध दुःखों का अंत @ मोक्ष @ जीवन-मुक्त @ विदेह @ तत्सवितुर्वरेण्यं @ अद्वैत

बाह्य त्राटक से अपने बाह्य चक्षुओं @ आंखों को तीक्ष्ण बना बेधक दृष्टि से दृश्यमान जगत के यथार्थता को जाना जा सकता है तो अन्तः त्राटक से अंतः चक्षु @ ज्ञान को तीक्ष्ण बना कर चेतना के अनंत आयामों की यात्रा की जा सकती है।

✍ @LBSingh बाबूजी के प्रशिक्षण में कहूं ~ पंचकोशी क्रियायोग का उद्देश्य द्वैत – वयष्टिगत चेतना @ अंतःकरण चतुष्टय = “कल्पनात्मक मन + निश्चयात्मक बुद्धि + अनुसंधानात्मक चित्त + अभिमानात्मक अहंकार” को परिष्कृत बना कर उस समष्टिगत परम चेतना में विलय कर दें अर्थात् रूपांतरण @ अद्वैत:-
😇 आंखें बंद हो तो स्वयं के भीतर ईश्वर @ अहं ब्रह्मस्मि @ सोऽहं @ शिवोऽहं,
👁 आंखें खोलें तो ईश्वरीय पसारे इस संसार के कण कण में ईश्वर के तत्व दर्शन @ तत्वमसि,

योग @ विलय @ रूपांतरण @ एकत्व ~ सर्वखल्विदंब्रह्म @ ईशावास्यं इदं सर्वं @ अद्वैत

🌞 प्रश्नोत्तरी with श्रद्धेय श्री लाल बिहारी सिंह @ बाबूजी

🙏 क्रांतिकारी साधक श्री नितिन आहूजा जी का शोध कार्य अच्छा है और इसे अनवरत जारी रखा जा सकता है।

🙏 पंचकोश चेतनात्मक परतें हैं अतः चेतना को क्रमशः परिष्कृत किया जाता है।

🙏 अनुसंधान (research) हेतु मन व बुद्धि को तीक्ष्ण/ बेधक बनाना आवश्यक होता है। मंदबुद्धि भी प्रज्ञावान बन सकते हैं – यह क्षमता सभी मनुष्यों के अंदर विद्यमान है। वरदराज और कालिदास जी का रूपांतरण हम सभी हेतु प्रेरणास्रोत हैं। त्राटक के अभ्यास से हमें बेधक दृष्टि व तीक्ष्ण बुद्धि मिलती है।

🙏 सूर्य त्राटक – उगते हुए सूर्य का ध्यान व अच्छा लगने तक करें। बाह्य त्राटक धीरे धीरे अन्तः त्राटक की पात्रता विकसित करती जाती हैं।

🙏 साधक की साधना का उद्देश्य – इष्ट देव @ आदर्श @ साध्य से एकात्म है।

🙏 सीखने की ललक – शिक्षार्थी को संसार के कण कण से शिक्षण देती है।

🙏 ध्यान में – अहं जगद्वा शकलं शुन्यं व्योमं समं सदा अथवा यन्मण्डलं दीप्तिकरं विशालं … में सविता के गुणों का चिंतन – मनन, ध्यान उत्तम है।

🙏 ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ||

🙏Writer: Vishnu Anand 🕉

 

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