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Dhyan Sadhna Ka Vaigyanik Aadhaar

Dhyan Sadhna Ka Vaigyanik Aadhaar

PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 31 Oct 2020 (5:00 am to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram – प्रशिक्षक Shri Lal Bihari Singh

ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌|

Please refer to the video uploaded on youtube.

sᴜʙᴊᴇᴄᴛ: ध्यान साधना का वैज्ञानिक आधार

Broadcasting. आ॰ अमन जी

आ॰ अंमन कुमार जी (गुरूग्राम हरियाणा)

गुरूदेव – वैज्ञानिक अध्यात्मवाद के प्रवर्तक रहे हैं। विज्ञान पक्ष परीक्षण से लेकर निष्कर्ष पर पहुंचने में मदद करती है। ‘Theory’ व ‘Practical’ दोनों पक्षों का समन्वय ही ज्ञान की पूर्णता है। ‘त्रिदेव’ (ब्रह्मा, विष्णु व महेश) ध्यानमग्न रहते हैं जो उन शक्ति धाराओं के क्रिया संपादन में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

ध्यान‘ को आष्टांग योग में 7 वें चरण में रखा गया है। ध्यान के पूर्व की स्थिति ‘धारणा‘ व परिपक्वता की स्थिति ‘समाधि‘ कही जाती है।
‘ध्यान योग’ की प्रक्रिया में ‘ध्याता, ध्यानध्येय‘ की त्रिपुटी रहती है। ‘ध्याता’ अर्थात् ध्यान करनेवाला वाला ‘साधक’, ‘ध्यान’ अर्थात् ध्येय (उपास्य/ साध्य) के स्वरूप में तद्रूप होनेवाली वृत्ति, एवं ‘ध्येय’ अर्थात् उपास्य/ आराध्य/ साध्यरूप स्वरूप।
गुरुदेव कहते हैं ‘सविता – साधक एक’, ‘भक्त – भगवान एक’ विलय – विसर्जन। जब तक ‘ध्याता, ध्यान व ध्येय’ – इन तीनों का अलग-अलग भाव रहता है, तब तक वह ‘ध्यान’ कही जाती है। ध्यान में ध्येय की मुख्यता होने वजह से साधक पहले अपने में ध्यातापन भूल जाता है। फिर ध्यान की वृत्ति एवं अंततः केवल ध्येय ही रह जाते हैैं। जिसे हम ‘समाधि‘ @ तुरीयावस्था कहते हैं। 

ध्यान साधना के उद्देश्य व वैज्ञानिक पक्ष का PPT presentation. Briefing में ध्यान साधना के उद्देश्य, Brain के anatomy व उसके different parts के क्रियाकलापों का व उनका आध्यात्मिक शक्तियों के जागरण में नियोजन का अद्भुत वर्णन है। Please refer to the video uploaded on YouTube.
Limbic System. include the amygdala, hippocampus, thalamus, hypothalamus, basal ganglia & cingulate gyrus. भैया ने ध्यान योग से हर एक part के function की प्रक्रिया सुचारू रूप से चलने का विज्ञान समझाया है।
Howard university के research व उनके results को लिया गया है। ध्यान-योग से त्रिगुणात्मक संतुलन के द्वारा ग्रंथि भेदन का संकेत है।
मस्तिष्क तरंगें – ‘अल्फा, बीटा, थीटाडेल्टा‘ हैं; जिसे हम EEG यंत्र से मापते हैं। हर एक स्टेट की frequency व दैनिक जीवन में स्थति का भैया ने उदाहरण के साथ वर्णन किया है। वैज्ञानिक आइंस्टीन जी की उपलब्धियाँ ‘अल्फा-स्टेट’ की ही देन है।भैया ने स्व प्रैक्टिकल के गहन शोध अनुभवों से भी योग साधकों का मार्गदर्शन किया है।

‘वैज्ञानिकों’ ने योग साधकों पर लंबे समय तक प्रयोग/परीक्षण कर निम्नांकित निष्कर्षों पर पहूंचे हैं। ‘ध्यान योग’ के अभ्यास से:-
उद्विग्नता मिटती, तनाव घटता व मस्तिष्क शांत होता है। नाड़ी की गति कम होती है, श्वसन दर घटती है एवं शरीर का तापमान कम होता है। जिससे प्राण क्षरण रूकता है व प्राण-ऊर्जा का भंडारण भी होता है।
Breathing rate की सामान्य 18 से घटकर 5 या 6 श्वास per मिनट एवं heart rate 72-80 से घटकर 50-60 per मिनट तक जा पहुँचती है। इसी बीच ऑक्सीजन की खपत में भी 20 प्रतिशत की कमी मापी गई हैं।
Blood में Lactic acid की मात्रा भी 50 प्रतिशत तक कम हो जाती है जिससे व्यक्ति के अंदर उत्साह, उमंग, स्फूर्ति की नवीन चेतना का संचार होता है। ‘Immunity’ बढ़ जाती है।

साधक के स्वप्न के सच्चे अथवा झूठे – साधक की चेतनात्मक स्थिति पर निर्भर करती है।

प्रश्नोत्तरी सेशन with श्री लाल बिहारी बाबूजी

साधक के चेतनात्मक स्थिति पर स्वप्न की यथार्थता निर्भर करती है। संतों के स्वप्न व सामान्य जन के स्वप्न में अंतर होता है। समष्टि सत्ता भी व्यष्टि सत्ता को नियंत्रण में लेकर उसे कार्यों का माध्यम बनाती है। हम दैनिक जीवन के भूले बिसरे इच्छाओं को भी स्वप्न में देखते हैं।

उपनिषद्‘ स्वाध्याय हमें अल्फा स्टेट में रखता है। गीताकार कहते हैं – हे अर्जुन तु युद्ध भी कर और मेरा स्मरण भी। ‘समत्वं योग उच्यते’। ‘सम’ भाव में रहना, ‘सुषुम्ना’ में रहना @ ‘स्थितप्रज्ञ’ की स्थिति अल्फा स्टेट है।
स्वाध्याय में अनवरत चिंतन – मनन व निदिध्यासन तदनुरूप क्रियान्यवयन की प्रक्रिया चलती रहती है।
गुरुदेव योगाभ्यास में सर्वप्रथम ‘शांत मनशांत चित्त‘ की बात करते हैं। शांत मन से तात्पर्य – बहिर्मुखी मन को अंतःमुखी करने से है। ईश्वर सार्वभौम हैं अतः सामंजस्य/ सायुज्यता स्थापित करने से बात बनती है।

आत्म-स्थिति‘ बिल्कुल शान्ताकारम हैं। आत्म-विस्मृति/ अज्ञानता ही सभी विक्षोभों/ क्लेशों @ बंधन का मूल है।

ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।

Writer: Vishnu Anand