Introduction of Annmay Kosh
PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 01 May 2021 (5:00 am to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्|
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sᴜʙᴊᴇᴄᴛ: अन्नमयकोश का परिचय
Broadcasting: आ॰ अमन जी
शिक्षक बैंच: श्री विष्णु आनन्द जी (कटिहार बिहार)
‘गायत्री’ के 5 मुखों में, आत्मा के पंचकोशों में प्रथम कोश का नाम ‘अन्नमयकोश’ है। अन्न के भीतर जो सूक्ष्म जीवन तत्त्व रहता है, वह अन्नमयकोश को बनाता है। ‘अभिव्यक्ति’ व ‘अनुभूति’ यूट्यूब चैनल Saturday_Classes_PRCE पर देखी-सुनी जा सकती है।
जिज्ञासा समाधान (श्री लाल बिहारी सिंह ‘बाबूजी’)
गैस दोष को दूर करने के लिए भोजन में क्षारीय तत्त्व को बढ़ावा दें। नित्य ऊषापान करें। समान और कृकल के असंतुलन ‘वात’ रोग को उत्पन्न करता है। ‘प्रज्ञायोग’ का पैकेज सर्वोपयोगी है। पंचकोश के १९ क्रियायोग आत्मसाक्षात्कार हेतु सर्वोपयोगी हैं।
प्याज, लहसून आदि का मेडिकेटेड डोज कोरोना काल में लिया जा सकता है। प्रज्ञायोग, महायोग (महामुद्रा + महाबंध + महावेध), सूर्यभेदन व प्राणाकर्षण प्राणायाम व शीर्षासन आदि का सरल-सहज व सजगता पूर्ण नियमित अभ्यास से ‘कोरोना’ से fight किया जा सकता है।
अपने घर/ संपर्क में ‘सुधार’ की गति धीमी होती है। सुधार की निरंतरता हेतु ‘आत्मीयता’ को प्राथमिकता दी जाए। मित्रता पूर्ण व्यवहार से अर्थात् friendly बात बनती है। Interpretation, scientific होने से young generation को प्रेरित करने में मदद मिलती है।
‘प्रकृति’ त्रिगुणात्मक हैं। सत्व, रज व तम का प्रभाव हमारे दैनंदिन जीवन पर पड़ता है। इन्हें प्रभावहीन करने हेतु ‘साक्षी’ भाव में रहा जा सकता है। यौगिक क्रिया में ‘प्राण’ को सुषुम्ना में सुखपूर्वक प्रवेश कर कुंभक को सिद्ध कर साक्षी भाव का संधान किया जा सकता है।
‘आत्मीयता’ के प्रसार से ‘आनंद’ का प्रसार होता है। अपनत्व से क्षमा करने में आसानी होती है। Nothing is worthless or useless in this universe. ज्ञानेन मुक्ति। हमें तत्त्वतः अर्थात् तत्त्वों के गुण, धर्म व स्वभाव को समझ कर लोकाचार करते हुए साक्षी भाव में रहना चाहिए @ अनासक्त कर्मयोग।
Intelligent Quotient (प्रज्ञा) + Emotional Quotient (श्रद्धा/ भाव संवेदनाएं) = Spritual Quotient (आत्मिकी)। श्रद्धावान लभते ज्ञानं। श्रद्धया सत्यमाप्यते।
‘संसार’ परिवर्तनशील/ गतिशील है। हर परिवर्तनशील सत्ता में अपरिवर्तनशील चैतन्य सत्ता विद्यमान है। ईश्वर साकार भी हैं वे निराकार भी। सर्व खल्विदं ब्रह्मं।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।
Writer: Vishnu Anand
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