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Shadhnatmak Experience Sharing and Strong Solar System in Human Body

Shadhnatmak Experience Sharing and Strong Solar System in Human Body

Aatmanusandhan –  Online Global Class –  8 जनवरी 2023 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह

ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌ ।

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Broadcasting: आ॰ अंकूर जी/ आ॰ अमन जी/ आ॰ नितिन जी

शिक्षक बैंच :-
1. आ॰ सुभाष चंद्र सिंह जी (गाजियाबाद,  उ॰ प्र॰)
2. आ॰ अमन कुमार जी (गुरुग्राम,  हरियाणा)

विषय: साधनात्मक अनुभव शेयरिंग

जीवन का सार्वभौम उद्देश्य :-
1. स्वयं को जानना @ आत्मबोध (उपाय – पंचकोश अनावरण @ गायत्री साधना)
2. धरा को स्वर्ग बनाना @ तत्त्वबोध (उपाय – कुण्डलिनी जागरण @ सावित्री साधना)

आत्मानुसंधान = आत्मबोध + तत्त्वबोध ।”

जीवन के 3 आधार: श्रद्धा, प्रज्ञा व निष्ठा @ उपासना, साधना व अराधना @ ज्ञान, कर्म व भक्ति @ उत्कृष्ट चिंतन,  आदर्श चरित्र व शालीन व्यवहार :-
1. Theory – approached,
2. Practical – digested,
3. Application – realised.
= ज्ञानार्थ आवें – सेवार्थ जाएं

आस्था (श्रेय प्रधान अर्थात प्रेय श्रेय का अनुगामी) – आत्मसत्ता का पदार्थ जगत पर नियंत्रण @ निष्काम/अनासक्त @ निःस्वार्थ प्रेम @ आत्मीयता ।
आस्था संकट (प्रेय प्रधान) – पदार्थ जगत प्रधान आत्मा गौण @ वासना/ तृष्णा/ अहंता/ उद्विग्नता @ लोभ/ मोह/ अहंकार ।

आत्मपरिष्कार (आत्मसमीक्षा + आत्मसुधार + आत्मनिर्माण + आत्मविकास), संसार की सबसे बड़ी सेवा है

आत्म/ परिवार/ समाज/ विश्व निर्माण के सूत्र (सार्वभौम धर्म के 10 लक्षण):-
1. सत्य व विवक
2. संयम व कर्तव्य-पालन
3. अनुशासन व अनुबंध
4. स्नेह सौजन्य व पराक्रम
5. सहकार व परमार्थ

आ॰ सुभाष चंद्र सिंह जी ने पंचकोश जागरण का जो application किया वो बहुत important है । इनके आत्मिक/ पारिवारिक/ सामाजिक समायोजन की शक्ति अद्भुत/  अद्वितीय और आज अध्यात्मिक सूर्य की तरह प्रकाशमान हैं ।

हमारे मानवीय काया में सशक्त सौरमंडल क्रियमाण है । 7 शरीर के 7 अध्यात्मिक सूर्य :-
1. Physical body (अन्नमयकोश)
2. Etheric body (प्राणमयकोश)
3. Astral body + 4. Mental body (मनोमयकोश)
5. Spritual body + 6. Cosmic body (विज्ञानमयकोश)
7. Causal @ Divine body (आनंदमयकोश)
फिर एक एक शरीर में 7 अध्यात्मिक सूर्य … । हर एक शक्ति केंद्र (चक्र उपचक्र) के सूर्य का जागरण करें ।

श्रेय प्रधान आत्म – पथिकों के अनुगामी प्रेय (सिद्धि/ शक्ति) होती हैं ।

जिज्ञासा समाधान

Time is real money. Time is life. If we kill/waste time, time will kill you in return. So time management (समय प्रबंधन) is also a core part of उपासना/ साधना/ अराधना ।
गुरूदेव के साहित्य का हम जब अध्ययन करते हैं (theory – चिंतन मनन मंथन @ approached) … then digestion के लिए practical जिसमें पंचकोशी क्रियायोग की भूमिका अहम ।
Theory + Practical सिद्ध/ mature हो गया तब application for realisation की बारी …. जिसे हम सार्वभौम रूपेण ‘सेवा‘ @ धर्म के 10 लक्षण – वसुधैवकुटुम्बकम के रूप में साध सकते हैं ।

विशुद्धि चक्र, कंठ कूप (throat) – तत्त्व – आकाश,  तन्मात्रा – शब्द । शब्द ब्रह्म की साधना से इसे जाग्रत किया जा सकता है ।
स्वाधिष्ठान चक्र हमारी इच्छा/ आकांक्षा/ मान्यता के अनुरूप … ।

ॐ  शांतिः शांतिः शांतिः।।

सार-संक्षेपक: विष्णु आनन्द

 

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