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Asanas

Asanas

आसन (परिचय, प्रकार व लाभ)

PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class –  30 Apr 2022 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह

ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌ ।

SUBJECT: आसन (अन्नमयकोश)

Broadcasting: आ॰ अमन जी/ आ॰ अंकुर जी/ आ॰ नितिन जी

शिक्षकः आ॰ योगाचार्य सुरेन्द्र पटेल जी (हरिद्वार, उत्तराखण्ड)

आसन’  का प्रभाव केवल शारीरिक स्तर तक ही नहीं प्रत्युत् मानसिक व अध्यात्मिक स्तर तक है ।
इसका प्रभाव शारीरिक, मानसिक, सामाजिक व राष्ट्रीय स्वास्थ्य पर होता है ।

स्थिरसुखमासनम् ।। २.४६ ।। सूत्रार्थ :- शरीर की वह स्थिति जिसमें शरीर बिना स्थिर व सुखपूर्वक (शांत चित्त) अवस्था में रहता है । वह आसन कहलाता है ।

प्रयत्नशैथिल्यानन्तसमापत्तिभ्याम् ॥ २.४७॥
प्रयत्न– आसन करते समय शारीरिक गतिविधियों या चेष्टाओं को सहज प्रयत्न द्वारा
शैथिल्य– शिथिल या रोक देने से
अनन्त- और अनन्त (आकाश या परमात्मा) में
समापत्तिभ्याम् – सहज ध्यान लगाने से आसन की सिद्धि हो जाती है ।

अन्नमयकोश के अनावरण (उज्जवल) हेतु 4 क्रियायोग:-
1. आसन
2. उपवास
3. तत्त्वशुद्धि
4. तपश्चर्या
http://literature.awgp.org/book/Super_Science_of_Gayatri/v10.3

4 प्रमुख ध्यानात्मक आसन :-
1. पद्मासन
2. सिद्धासन
3. स्वस्तिकासन
4. सुखासन

पतंजलि योग के पुनर्जीवन में बाबा रामदेव जी का महत्वपूर्ण योगदान ।

मर्म बिन्दु (मर्मस्थल) अति कोमल हैं अतः प्रकृति ने इसे इतना सुरक्षित बनाया है कि generally बाह्य प्रभाव की पहुंच यहां तक नहीं होती है । आसनों से इनकी रक्षा होती है ।
http://literature.awgp.org/book/Gayatree_kee_panchakoshee_sadhana/v7.57

आसनों के प्रकार – http://literature.awgp.org/book/Gayatree_kee_panchakoshee_sadhana/v7.58

प्रज्ञायोग व्यायाम – http://literature.awgp.org/book/Pragya_yog_for_Happy_Healthy_Life/v2.13

Demonstration:- Joint Movements (सुक्ष्म व्यायाम), प्रज्ञायोग, सूर्य नमस्कार, त्रिबंध सह भस्त्रिका युक्त नाड़ी शोधन प्राणायाम व प्रभावी – महाप्रभावी आसन

जिज्ञासा समाधान

अन्नमयकोश के योगासन:-
प्राणमयकोश में प्राणायाम, बंध व मुद्रा युक्त आसन
मनोमयकोश में एकाग्रता युक्त आसन
विज्ञानमयकोश में भाव संवेदनाएं युक्त आसन (त्रिगुणात्मक संतुलन – उद्विग्नता शांत)
आनंदमयकोश में अद्वैत ।

कमर की flexibility में वृद्धि करने वाले आसन:-
1. शशांकासन (rabbit pose)
2. भुजंगासन (snake pose)
3. मार्जरी आसन (cat pose)
4. धनुरासन (bow pose) etc.

Slip disk में avoid forward bending and heavy weight lifting. Backward bending वाले अभ्यास को प्राथमिकता दी जा सकती है । शक्तिचालिनी मुद्रा (आकुंचन प्रकुंचन) का सहज अभ्यास कमर दर्द में लाभ पहुंचा सकता है ।

जिज्ञासा समाधान (श्री लाल बिहारी सिंह ‘बाबूजी’)

योगासन स्वास्थ्य रक्षा के लिए अतीव उपयोगी होने के अतिरिक्त मर्म स्थानों में रहने वाली ‘हव्य- वहा’ और ‘कव्य- वहा’ तड़ित शक्ति (प्राणमयकोश) को क्रियाशील (क्रिया शक्ति/ बहादुरी) रखते हैं। ये शक्तियां मर्मस्थल की cleaning करते हैं । फिर मनोमयकोश में ईश्वर (आदर्शों/ समर्पण) से जुड़कर  ध्यानात्मक/ चेतनात्मक healing होती है (विचार संपदा – समझदारी) । फिर शांत/ विशुद्ध चित्त से विज्ञानमयकोश उज्जवल (ईमानदारी) होता है । अद्वैत (विलयन विसर्जन – जिम्मेदारी @ भक्तियोग @ वसुधैव कुटुंबकम्) से आनंदमयकोश उज्जवल ।
बहादुर, समझदारईमानदार व्यक्तित्व ही वास्तविक रूप से जिम्मेदार कहे जा सकते हैं ।

साधना में अति हर्यत्र वर्जते (excess of everything is bad) अर्थात् सहजता व सजगता का ध्यान रखें

सांसारिक दायित्वों के संपादन अथवा निष्पादन में unconditional love से अथाह प्राण शक्ति (महाप्राण) का आकर्षण, संधारण व विनियोग किया जा सकता है ।

सूर्यभेदन प्राणायाम से वात रोग शांत होते हैं ।

ॐ  शांतिः शांतिः शांतिः ।।

Writer: Vishnu Anand

 

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