भूर्भुवः स्वस्त्रयो लोका व्याप्तमोम्ब्रह्म तेषुहि स एव तथ्यतो ज्ञानी यस्तद्वेत्ति विचक्षणः॥ -गायत्री स्मृति शास्त्रों का कथन है कि “भू, भुवः ओर स्वः ये तीन लोक हैं। इन तीनों लोकों में ॐ ब्रह्म व्याप्त है। जो बुद्धिमान उस व्यापकता को जानता है, वह ही वास्तव में ज्ञानी है।” यह विश्व तीन भागों में विभक्त है। प्रत्येक …
प्रथम सप्ताह के लिये क्रमिक सूत्र स्वाध्याय ( आत्म समीक्षा + स्वयं पर प्रयोग+कंठस्थ+चर्चा) “भूर्भुवः स्वस्त्रयो लोका व्याप्तमोम्ब्रह्म तेषु हि । स एव तत्थतो ज्ञानी यस्तद्वेति विचक्षणः ।। “ भावार्थ— भू: भुव: और स्व: ये तीन लोक हैं , उन तीनों लोकों में ” ॐ ब्रह्म ” व्याप्त है। जो बुद्धिमान उस ब्रह्म को जानता …
सभी साधक भैया-बहनों केलिए मैत्रीवत् सूचना सदेश ————————————————————————— A. दिनांक 01.01.2015 से फेसबुक के जरिए”पंचकोशी साधना” प्रथम बैच की कक्षाएं शुरू हो जाएगी। *********** B. शोध-विषय —– — आत्म-परिष्कार ( Self-refinement) ——————————————————————— सैद्धान्तिक अध्याय —–प्रथम सत्र के लिए * जीवन जीने की कला के सार्वभौम 25 सूत्र —-प्रति सप्ताह एक सूत्र को हृदयंगम मनन-चिंतन व …
अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश, आनन्दमय कोश। पंचकोशी साधना ध्यान गायत्री की उच्च स्तरीय साधना है। पंचमुखी गायत्री प्रतिमा में पाँच मुख मानवीय चेतना के पाँच आवरण हैं। इनके उतरते चलने पर आत्मा का असली रूप प्रकट होता है। इन्हें पाँच कोश पाँच खजाने भी कह सकते हैं। अन्तःचेतना में एक से …