Pragyakunj, Sasaram, BR-821113, India
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Category: स्वाध्याय-लेख

Panchkosh Yoga: A practical tool for "Self Awakening"

Prana Samvardhan Hetu Bandh Evam Mudra Vigyan

PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 19 June 2021 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌| Please refer to the video uploaded on youtube. sᴜʙᴊᴇᴄᴛ:  प्राण संवर्द्धन हेतु बन्ध एवं मुद्रा विज्ञान Broadcasting: आ॰ अमन जी …

प्राणाकर्षण प्राणायाम

(1) प्रातःकाल नित्यकर्म से निवृत्त होकर पूर्वाभिमुख, पालथी मार कर आसन पर बैठिए । दोनों हाथों को घुटनों पर रखिए। मेरुदण्ड, सीधा रखिए। नेत्र बन्द कर लीजिए। ध्यान कीजिए कि अखिल आकाश में तेज और शक्ति से ओत-प्रोत प्राण-तत्त्व व्याप्त हो रहा हैं। गरम भाप के, सूर्य प्रकाश में चमकते हुए, बादलों जैसी शकल के …

साधना की सफलता के रहस्य

साधना की सफलता के रहस्य गोपथ ब्राह्मण में अच्छी तरह समझायें गये हैं ।। इसके अन्तर्गत मौदगल्य और मैत्रेयी संवाद में गायत्री तत्त्वदर्शन पर 33- 35 कण्डिकाओं में विस्तृत प्रकाश डाला गया है ।। मैत्रेयी पूछते हैं- ” सवितुर्वरेण्यम् भर्गोदेवस्य, कवयः किश्चित आहुः” अर्थात् हे भगवान्! यह बताइये कि ”सवितुर्वरेण्यम् भर्गोदेवस्य” इसका अर्थ सूक्ष्मदर्शी विद्वान …

एकता अनुभव करने का अभ्यास (मैं क्या हूँ से उदधृत )

ध्यानास्थित होकर भौतिक जीवन प्रवाह पर चित्त जमाओ । अनुभव करो कि समस्त ब्रहृमाण्डों में एक ही चेतना शक्ति लहरा रही है, उसी के समस्त विकार भेद से पंचतत्व निर्मित हुए हैं । इन्द्रियों द्वारा जो विभिन्न प्रकार के सुख-दुखमय अनुभव होते हैं, वह तत्वों की विभिन्न रासायनिक प्रक्रिया हैं, जो इन्द्रियों के तारों से …

ईश्वर का स्वरूप एवं कार्य प्रणाली क्या हो सकता है

ईश्वर का स्वरूप एवं कार्य प्रणाली क्या हो सकता है? —- उत्तर स्वयं भगवान विष्णु द्वारा ~ प्रज्ञोपनिषद्(प्रथम मण्डल) ————————————————————————– ” निराकारत्व हेतोश्च प्रेरणा कर्तुमीश्वर: । शरीरिणश्च गृहणामि गति संचालने तत: ॥ — 1.31 (” निराकार होने के कारण मैं प्रेरणा ही भर सकता हूँ । गतिविधियों के लिए शरीरधारियों का आश्रय लेना पड़ता है, …

व्याहृतियों में विराट का दर्शन

भूर्भुवः स्वस्त्रयो लोका व्याप्तमोम्ब्रह्म तेषुहि स एव तथ्यतो ज्ञानी यस्तद्वेत्ति विचक्षणः॥ -गायत्री स्मृति शास्त्रों का कथन है कि “भू, भुवः ओर स्वः ये तीन लोक हैं। इन तीनों लोकों में ॐ ब्रह्म व्याप्त है। जो बुद्धिमान उस व्यापकता को जानता है, वह ही वास्तव में ज्ञानी है।” यह विश्व तीन भागों में विभक्त है। प्रत्येक …

पञ्चकोश-साधना

अन्नमय कोश, प्राणमय कोश, मनोमय कोश, विज्ञानमय कोश, आनन्दमय कोश। पंचकोशी साधना ध्यान गायत्री की उच्च स्तरीय साधना है। पंचमुखी गायत्री प्रतिमा में पाँच मुख मानवीय चेतना के पाँच आवरण हैं। इनके उतरते चलने पर आत्मा का असली रूप प्रकट होता है। इन्हें पाँच कोश पाँच खजाने भी कह सकते हैं। अन्तःचेतना में एक से …