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Category: Etheric Body (प्राणमय कोश )

Panchkosh Yoga: A practical tool for "Self Awakening"

प्राणमय कोश की साधना – 4

पांच महाप्राणऔर पांच लघुप्राण   मनुष्य शरीर में दस जाति के प्राणों का निवास है । इनमे से पांच को महाप्राण और पांच को लघुप्राण कहते हैं । प्राण, अपान, सामान, उदान, व्यान यह पांच महाप्राण हैं । नाग, कूर्म, कृकल, देवदत्त, धनञ्जय, यह पांच लघुप्राण हैं । शरीर में कुछ ऐसे भ्रमर हैं, जिनमे …

प्राणाकर्षण प्राणायाम

(1) प्रातःकाल नित्यकर्म से निवृत्त होकर पूर्वाभिमुख, पालथी मार कर आसन पर बैठिए । दोनों हाथों को घुटनों पर रखिए। मेरुदण्ड, सीधा रखिए। नेत्र बन्द कर लीजिए। ध्यान कीजिए कि अखिल आकाश में तेज और शक्ति से ओत-प्रोत प्राण-तत्त्व व्याप्त हो रहा हैं। गरम भाप के, सूर्य प्रकाश में चमकते हुए, बादलों जैसी शकल के …

प्राणमय कोश की साधना – 3

प्राणाकर्षण  की सुगम क्रियाएँ – 1   प्रातःकाल नित्य कर्म से निवृत्त होकर साधना के लिए किसी शांतिदायक स्थान पर आसन बिछाकर बैठिये, दोनों हाथो को घुटनो पर रखिये, मेरुदंड सीधा रहे, नेत्र बंद कर लीजिये। फेफड़ों में भरी हुई हवा बाहर निकाल दीजिये, अब धीरे धीरे नासिका द्वारा साँस लेना आरम्भ कीजिये। जीतनी अधिक …

प्राणमय कोश की साधना – 2

प्राणायाम (Pranayam) श्वास को खींचने उसे अंदर रोके रखने और बाहर निकालने की एक विशेष क्रियापद्धति है , इस विधान के अनुसार प्राण को उसी प्रकार अंदर भरा जाता है जैसे साईकिल के पम्प से ट्यूब में हवा भरी जाती है। यह पम्प इस प्रकार का बना होता है कि हवा को भरता है पर …

प्राणमय कोश की साधना – 1

प्राणशक्ति का महत्व ‘प्राण’ शक्ति एवँ सामर्थ्य का प्रतीक है | मानव शरीर के बीच जो अंतर् पाया जाता है , वह बहुत साधारण है | एक मनुष्य जितना लंबा मोटा , भारी है दूसरा भी उससे थोड़ा-बहुत ही न्यूनाधिक होगा परन्तु मनुष्य की सामाजिक शक्ति के बीच जो ज़मीन आसमान का अंतर् पाया जाता …