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Category: Physical Body (अन्नमय कोश)

Panchkosh Yoga: A practical tool for "Self Awakening"

अन्नमय कोश: ४ – अन्नमय कोश की शुद्धि के चार साधन – ३. तत्व-शुद्धि

गायत्री के पांच मुख पांच दिव्य कोश : अन्नमय कोश – ४ ( अन्नमय कोश की शुद्धि के चार साधन –३. तत्व-शुद्धि ) यह श्रृष्टि पंच तत्वों से बनी हुई है | प्राणियों के शरीर भी इन्ही तत्वों से बने हुए हैं | मिटटी , जल , वायु , अग्नि और आकाश इन् पांच तत्वों …

अन्नमय कोश: ३ – अन्नमय कोश की शुद्धि के चार साधन — २. आसन

गायत्री के पांच मुख पांच दिव्य कोश : अन्नमय कोश – ३ अन्नमय कोश की शुद्धि के चार साधन — २.आसन ऋषियों ने आसनों को योग साधना मे इसलिए प्रमुख स्थान दिया है क्योकि ये स्वस्थ्य रक्षा के लिए अतीव उपयोगी होने के अतिरिक्त मर्म स्थानों मे रहने वाली ‘ हव्य- वहा ‘ और ‘कव्य- …

अन्नमय कोश: २ – अन्नमय कोश की शुद्धि के चार साधन – १. उपवास

गायत्री के पांच मुख पांच दिव्य कोश : अन्नमय कोश – २ अन्नमय कोश की शुद्धि के चार साधन – १.उपवास अन्नमय कोश की अनेक सूक्ष्म विकृतियों का परिवर्तन करने मे उपवास वही काम करता है जो चिकित्सक के द्वारा चिकित्सा के पूर्व जुलाब देने से होता है | ( चिकित्सक इसलिए जुलाब आदि देते …

गायत्री के पांच मुख पांच दिव्य कोश : अन्नमय कोश -१

गायत्री के पांच मुखों मे आत्मा के पांच कोशों मे प्रथम कोश का नाम ‘ अन्नमय कोश’ है | अन्न का सात्विक अर्थ है ‘ पृथ्वी का रस ‘| पृथ्वी से जल , अनाज , फल , तरकारी , घास आदि पैदा होते है | उन्ही से दूध , घी , माँस आदि भी बनते …

अन्न्मय-कोष का प्रवेश द्वार – नाभि चक्र

गर्भाशय में भ्रूण का पोषण माता के शरीर की सामग्री से होता है। आरंभ में भ्रूण, मात्र एक बुलबुले की तरह होता है। तदुपरान्त वह तेजी से बढ़ना आरंभ करता है। इस अभिवृद्धि के लिए पोषण सामग्री चाहिए। उसे प्राप्त करने का उस कोंटर में और कोई आधार नहीं हैं । मात्र माता का शरीर …

अन्नमय कोश का प्रवेश द्वार : नाभिचक्र

गर्भाशय में भ्रूण का पोषण माता के शरीर की सामग्री से होता है। आरंभ में भ्रूण, मात्र एक बुलबुले की तरह होता है। तदुपरान्त वह तेजी से बढ़ना आरंभ करता है। इस अभिवृद्धि के लिए पोषण सामग्री चाहिए। उसे प्राप्त करने का उस कोंटर में और कोई आधार नहीं हैं । मात्र माता का शरीर …