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Divine Body Treasure House of Seven Jewels

Divine Body Treasure House of Seven Jewels

सात रत्न भण्डारों की तिजोरी यह देव शरीर

Aatmanusandhan –  Online Global Class –  18 दिसंबर 2022 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह

ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌ ।

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विषय: सात रत्न भण्डारों की तिजोरी यह देव शरीर

Broadcasting: आ॰ अंकूर जी/ आ॰ अमन जी/ आ॰ नितिन जी

शिक्षक: श्रद्धेय श्री लाल बिहारी सिंह @ बाबूजी (प्रज्ञाकुंज, सासाराम, बिहार)

देव शरीर  @ Human body – शरीर को भगवान का मंदिर समझ कर आत्मसंयम व नियमितता द्वारा आरोग्य की रक्षा करेंगे ।

गायत्री की 2 उच्च स्तरीय साधनाएं :-
1. पंचकोश अनावरण
2. कुण्डलिनी जागरण

सप्त चक्र – मूलाधार,  स्वाधिष्ठान,  मणिपुर,  अनाहत, विशुद्धि,  आज्ञा व सहस्रार । कुण्डलिनी संपदा (treasures) को चक्र रूपी तालों वाली तिजोरी (human body) में बंद करके रखा गया है । खोलने (लाभ लेने) का उपाय/ साधन/ चाभी – कुण्डलिनी जागरण साधना

सप्त लोक – भूः, भुवः, स्वः, महः, जनः, तपः व सत्यम ।

सात धातुएं – रस, रक्त,  त्वचा, मांस, अस्थि, मेद व शुक्र ।

सात आयाम – लंबाई,  चौड़ाई,  ऊँचाई,  टाइम स्पेस, एण्टी मैटर, विचारणा व भाव-संवेदना ।

सात शरीर :-
1. स्थूल शरीर (Physical body)
2. सूक्ष्म शरीर (Etheric body)
3. कारण शरीर (Astral body)
4. मानस शरीर (Mental body)
5. आत्मिक शरीर (Spritual body)
6. देव शरीर (Cosmic body)
7. ब्रह्म शरीर (Divine body)

पंचकोश (Five treasures) @ आत्मा के 5 आवरणमें अनंत ऋद्धियां सिद्धियां (लाभ) भरी पड़ी हैं
1. अन्नमयकोश (physical body ) – इन्द्रियचेतना (लाभ – निरोगता,  दीर्घ-जीवन व चिरयौवन),
2. प्राणमयकोश (etheric body) – जीवनीशक्ति (लाभ – ऐश्वर्य,  पुरूषार्थ, ओज, तेज व यश),
3. मनोमयकोश (astral + mental body) – विचार बुद्धि (लाभ – आकर्षक व्यक्तित्व, धैर्य, मानसिक संतुलन, एकाग्रता व बुद्धिमत्ता),
4. विज्ञानमयकोश (spritual + cosmic body) – अचेतन सत्ता व भाव प्रवाह (लाभ – अतीद्रिंय क्षमता, दिव्य दृष्टि,  दैवीय गुण, सज्जनता व सहृदयता),
5.  आनंदमयकोश (causal @ divine body) – आत्मबोध (लाभ – आत्म साक्षात्कार,  ईश्वर दर्शन व अखंडानंद) ।

पंचकोश साधना @ अनावरण @ जागरण से उपरोक्त लाभ हस्तगत किए जा सकते हैं । इसमें युगानुकूल 19 क्रियायोग रखे गए हैं :-
1. अन्नमयकोश – (4) आसन, उपवास,  तत्त्वशुद्धि व तपश्चर्या,
2. प्राणमयकोश – (3) प्राणायाम,  बंध व मुद्रा,
3. मनोमयकोश – (4) जप, ध्यान,  त्राटक व तन्मात्रा साधना,
4. विज्ञानमयकोश – (4) सोऽहं साधना, आत्मानुभूति योग, स्वर संयम व ग्रंथिभेदन,
5. आनंदमयकोश – (4) नाद, बिंदु, कला साधना व तुरीय स्थिति ।

जिज्ञासा समाधान

साधना में श्रद्धा (विशवास), निष्ठा (नियमितता), प्रज्ञा बुद्धि (स्वाध्याय + सहजता + सजगता) का समावेश करें ।
Weeklyशनिवार व रविवार को निःशुल्क Online Global Classes Zoom app पर जारी है ।
Practical expertise हेतु प्रज्ञाकुंज सासाराम (बिहार) में आयोजित निःशुल्क साधना सत्रों में सहभागिता सुनिश्चित की जा सकती है ।

पूर्वाभास, sixth sense की उपलब्धि है (विज्ञानमयकोश) । इसके सुनियोजन की व्यवस्था बनायें । Benifts होने वाले हैं तो उसका good use करें । Fortcoming challenges or problems के लिए कमर कसें और उसके solutions का part बनें ।

Benifits के चिंतन मनन से उस subject पर श्रद्धा प्रगाढ़, स्वाध्याय से प्रज्ञा जागृत एवं good use से निष्ठा को हस्तगत किया जा सकता है ।

चराचर जगत में सर्वत्र ईश्वरीय दर्शन बिन्दु साधना है ।

स्वाहा = सु + आहा @ सदुपयोग (good use) ।

ॐ  शांतिः शांतिः शांतिः ।।

सार-संक्षेपक: विष्णु आनन्द

 

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