Experience Sharing – 1
PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 28 Mar 2021 (5:00 am to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्|
Please refer to the video uploaded on youtube.
SUBJECT: जिज्ञासा समाधान/ अनुभव शेयरिंग
Broadcasting: आ॰ अंकुर जी
Shri Vinod Marodia Ji
प्रज्ञाकुंज सासाराम में सघन आत्मीयता व सकारात्मकता की आत्मानुभूति हुई। महर्षि अरविन्दो के त्रिविध अभ्यास व शैक्षणिक दर्शन के practical को नित्य आत्मसात किया जा रहा है।
आ॰ अरविंद कुमार सिंह जी (अधिवक्ता, पटना हाईकोर्ट)
एक मित्र की प्रेरणा से गायत्री दीक्षा ली। ‘हनुमान’ जी आदर्श रहे हैं। गुरूदेव के साहित्य से आध्यात्मिक अभिरूचि और बढ़ी। हमारी वसीयत और विरासत से बहुत प्रेरणा मिली।
पटना गायत्री शक्तिपीठ में आ॰ श्री लाल बिहारी सिंह बाबूजी का 9 दिवसीय पंचकोशी साधना सत्र में सहभागिता का सुअवसर मिला और आत्मसाधना की तलाश पुर्ण हुई। और तबसे आध्यात्मिक यात्रा = अंतरंग परिष्कृत + बहिरंग सुव्यवस्थित अनवरत जारी है।
डा॰ ब्रिजेश कु॰ पाण्डेय (अम्बेडकरनगर, उ॰ प्र॰)
पंचकोशी साधना से प्रेरणा व प्रगति जारी है। आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री चेतना केंद्र सुदामा नगर में पंचकोशी कक्षाएं आयोजित हुई। आगे नवरात्रि साधना कार्यक्रम है।
आ॰ अर्णव आनन्द जी (Merchant Navy)
सन् 2018 में गायत्री दीक्षा ली। जनवरी 2021 में गायत्री पंचकोशी साधना join की। Carrier progression के साथ spiritual journey भी जारी है।
आ॰ राधे श्याम शर्मा जी (देहरादून, उत्तराखंड)
गायत्री साधकों के व्यक्तित्व से प्रेरित होकर सन् 1991 में गायत्री दीक्षा ली। YouTube पर बाबूजी की गायत्री पंचकोशी साधना वीडियो देखने से असीम प्रेरणा मिली और साधना की वास्तविक स्वरूप को समझने का सुअवसर प्राप्त हुआ।
बैंगलोर (जलहाली) में बाबूजी के सत्र में सहभागिता का सुअवसर मिला। साधना अनवरत चल रही है। प्रगति जारी है।
आ॰ विजय कुमार प्रसाद जी
सैन्य सेवानिवृत्त (Ex-servicemen) हैं। संपूर्ण परिवार गायत्री दीक्षित हैं। सैन्य जीवन में गंभीर चुनौतियों का सामना किया। गायत्री पंचकोशी साधना join करने के बाद शांति का मार्ग प्रशस्त हो गया है।
आ॰ चन्द्रमोहन सिंह जी (पटना, बिहार)
BSNL से सेवानिवृत्त हैं। गायत्री शक्तिपीठ पटना में दीक्षित हुए। बाबूजी से प्रेरित होकर गायत्री साधना का practical पंचकोशी साधना शुरू की। अनवरत प्रगति जारी है।
आ॰ मीना शर्मा दीदी (दिल्ली)
सन् 2017 में बाबूजी के माध्यम से गुरूदेव का साक्षात्कार हुआ। तब से spiritual journey अनवरत जारी है। COVID-19 lockdown में साधना को और भी गति मिली। विज्ञानमयकोश साधना में श्रद्धा-भक्ति अगाध अटूट बनती जा रही है। निर्भयता जीवन का अभिन्न अंग बन गया है। बेटियां बाबूजी के माध्यम से गायत्री दीक्षा लीं।
आ॰ बाबूजी, आ॰ अमन भैया, आ॰ अंकुर भैया, आ॰ सुशील त्यागी भैया, आ॰ सुभाष चन्द्र भैया आदि प्रेरणास्रोत हैं।
आ॰ नितिन आहूजा जी
गायत्री महामंत्र जप के विज्ञान और आइंस्टीन के Mass – energy equivalence E = mc2 के सुत्र के वैज्ञानिक प्रयोग से साधनात्मक प्रगति को उछाल मिला। यूं कहुं की वैज्ञानिक अध्यात्मवाद को रचा पचा पा रहा हूं।
‘संघर्ष’ (सुषुम्ना), ‘ईश्वर’ के सामीप्य में सहायक होते हैं। इस तथ्य को अनुभूत किया जा रहा है। ‘विवेक’ के जागरण से ‘दृष्टिकोण’ (angle of vision) परिष्कृत होती जा रही है। समस्याएं अनेक – समाधान एक – ‘अध्यात्म’।
आ॰ आशीष कुमार गुप्ता (गोरखपुर, उ॰ प्र॰)
आ॰ सुभाषचन्द्र भैया जी के माध्यम से गायत्री पंचकोशी साधना की शुरुआत हुई। प्रथम गुरु माता-पिता। सर्वप्रथम सुभाषचन्द्र भैया से आध्यात्मिक मार्गदर्शन मिला। सर्वप्रथम स्वयं से जुड़े।
साधनात्मक प्रगति में भीड़भाड़ वाली जगह पर भी शांति/ केंद्रित महसूस करते हैं। जीवन में अनुशासन समाविष्ट होता जा रहा है।
आ॰ कविता जी (महाराष्ट्र)
गायत्री दीक्षा लीं और संस्कार पर्व में participate करती रहीं हैं। गायत्री पंचकोशी साधना से जीवन में अनुशासन, सुख, शांति, धैर्य व सकारात्मकता बढ़ी है। आ॰ बाबूजी (ज्ञान गुण सागर) का स्नेहाशीष सपरिवार मुझ पर अनवरत बनी रहे।
आ॰ विष्णु शर्मा भैया (पुणे, महाराष्ट्र)
गायत्री पंचकोशी साधना से शारीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक प्रगति जारी है। बाबूजी में गुरूदेव की अखंड ज्योति को हम live देख सकते हैं @ चलते फिरते शक्तिपीठ हैं।
आ॰ सुमन कुमारी जी (गया, बिहार)
गायत्री पंचकोशी आनलाईन ग्लोबल शनिवार व रविवार की कक्षा के माध्यम से गुरूदेव के विचारों को आचरण में लाने में अभूतपूर्व मदद मिलती है।
आ॰ आशा देवी जी
आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना अनवरत जारी है। प्रगति जारी है।
आ॰ अनुराग जी (MSC in Yoga)
गायत्री पंचकोशी साधना से अध्यात्म, जीवन के सभी अंगों (parts) में महसूस किया जाता है।
श्रद्धेय लाल बिहारी बाबूजी
पुज्य गुरूदेव आप सभी साधकों के हृदय में जीवंत हैं। गुरूदेव की हार्दिक इच्छा रही है की उनके बच्चे ‘चलते फिरते शक्तिपीठ’ बनें। ‘गुण, कर्म व स्वभाव’ @ ‘चरित्र, चिंतन व व्यवहार’ exemplary हों। गुरूदेव ऐसे 10000 हीरों का हार (आत्मसाधकों) पहनने की इच्छा रखते हैं।
किसी भी वर्णाश्रम धर्म के ‘व्यक्तित्व’ एक एक हीरे बनने का सौभाग्य प्राप्त कर सकते हैं।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।
Writer: Vishnu Anand
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