Pragyakunj, Sasaram, BR-821113, India
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Experience Sharing – 3

Experience Sharing – 3

PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 04 Apr 2021 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह

ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌|

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sᴜʙᴊᴇᴄᴛ: जिज्ञासा समाधान – अनुभव शेयरिंग

Broadcasting: आ॰ अंकुर जी

आ॰ पुरूषोत्तम मोड (Farmer, मंदसौर, म॰ प्र॰)

आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना अनवरत जारी है।अध्यात्म का अनुभव एक गुंगे की गुड़ की मिठास की तरह।
उपलब्धियां – जीवन में ‘संयम’ (इन्द्रिय संयम, समय संयम, विचार संयम व अर्थ संयम) सिद्ध होता जा रहा है।
‘धैर्य’, साहस में अभिवृद्धि होती जा रही है।
यत् ब्रह्माण्डे तत् पिण्डे @ अणु में विभु का साक्षात्कार हुआ।

आ॰ अमित चावला (लंदन, UK)

पंचकोशी साधना व साधक समूह संग खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। आसन, प्राणाकर्षण प्राणायाम से लाभान्वित हो रहे हैं।

आ॰ अंबुज शर्मा (मुरादनगर, दिल्ली)

गायत्री परिवार की पृष्ठभूमि रही है। सन् 2017 में मुरादनगर में गायत्री पंचकोशी साधना के सत्र से पंचकोशी साधना की शुरुआत हुई।
उपलब्धियां – पाचन प्रणाली के रोग (अपच) को दूर भगाया गया।
निर्णय लेने की क्षमता में अभिवृद्धि हुई।दूरदृष्टी  की क्षमता विकसित हुई। Work … load हुआ करता था अब job …. satisfaction/ joy का माध्यम है।
आत्मपरिष्कार (आत्मसमीक्षा + आत्मसुधार + आत्मनिर्माण + आत्मविकास) दैनंदिन जीवन में सधता जा रहा है।
निर्भयता संग सानंद सादर ससम्मान जीवन का आनंद लिया जा रहा है।

आ॰ सुशील कुमार त्यागी (गाजियाबाद, दिल्ली)

बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना शुरू की।
उपलब्धियां – शारीरिक रोग (BP, Arthritis, fatigue, fobia etc) को ठीक किया गया।
कला – कौशल professional life में युवाओं संग कंधे से कंधा मिलाकर काम किया जा रहा है।
नियमितता, अनुशासन, निर्भयता, धैर्य – जीवन साधना के अंग अवयव बनते जा रहे हैं।

आ॰ डा॰ रीता सिंह (दरभंगा, बिहार)

सन् 2015 में बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना से रूबरू होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
उपलब्धियां – अध्ययन में रूचि रही है अब अध्ययन को नित नए आयाम मिल रहे हैं। वेद, उपनिषद् आदि ग्रंथों का अर्थ सुस्पष्ट होता गया और नित उन्हें जीने का क्रम चल पड़ा।
साइनस, माइग्रेन, श्वास संबंधी रोगों का निदान किया गया।
शिक्षक, प्राणिक हीलर व समाज सुधारक के रूप में समाज की सेवा (अराधना) की जा रही है।

आ॰ पुरण सिंह पांती (हल्द्वानी, उत्तराखंड)

सन् 2018 में प्रज्ञा कुंज सासाराम में सर्वप्रथम पंचकोशी साधना को जानने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
उपलब्धियां – समाज में रचनात्मक कार्यों में सफलता मिल रही हैं। शारीरिक स्वास्थ्य संग धैर्य, साहस, आनंद में नित्य अभिवृद्धि होती जा रही है।

आ॰ उमा सिंह (गृहिणी, बैंगलोर, कर्नाटक)

पिता – प्रखर गायत्री साधक रहे अतः आध्यात्मिक पृष्ठभूमि रही है। भाई – एक मित्र की तरह आत्मीय व संरक्षक रहे। पति – भी जीवन साथी बतौर हर कदम साथ रहते हैं। बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री साधना के practical – पंचकोशी साधना को आत्मसात करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
उपलब्धियां – माइग्रेन से मुक्ति मिली।
मनो वै संसारः – मनःस्थिति के अनुरूप परिस्थितियां हैं इस सत्य को जाना समझा गया।
अध्ययन में बाल्यकाल से ही रूचि रही है। बाबूजी के सरल, सहज व सुबोध सुत्रों से ‘स्वाध्याय’ को नित नए आयाम मिल रहे हैं।

आ॰ अनिरुद्ध सिंह चौहान (सेवानिवृत्त Air force personnel, Presently Manager in BHL, बैंगलोर, कर्नाटक)

बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना अनवरत जारी है।
उपलब्धियां – अखंड आनंद का स्रोत पाया गया है। जीवन के हर क्षेत्र में निर्भयता, धैर्य, साहस व संवेदनशीलता का समावेश है।

आ॰ किरण चावला जी (ओहायो, USA)

सन् 2014 से बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना अनवरत जारी है। विगत 4 वर्षों से प्रत्येक वर्ष 15 दिन बाबूजी के सत्र हमारे यहां आयोजित होते हैं।
उपलब्धियां – शारीरिक, मानसिक, आर्थिक व सामाजिक रूप से सशक्त हुए।
स्वाध्याय जीवन का अनिवार्य अंग है।
आत्मीयता @ विनम्रता @ शालीनता @ सम भाव की सिद्धि हुई।
ज्ञान, कर्म व भक्ति – त्रिविध आयामों में आत्म – परमात्म साक्षात्कार @ आत्मीयता नित्य विस्तृत होती जा रही है।

आ॰ पद्मा हिरास्कर दीदी (पुणे, महाराष्ट्र)

सन् 1991 में गायत्री परिवार से जुड़ी। बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना अनवरत जारी है।
उपलब्धियां – अन्नमयकोश की साधना से उपत्यिकाओं की शुद्धि हुई। उपवास की वैज्ञानिकता को समझा गया।
प्राणमयकोश की साधना से समाज में रचनात्मक कार्यों को गति दी गई।
मनोमयकोश की साधना से मन शांत व प्रसन्नचित्त रहता है। विकारों में ब्रह्म को देखने का अभ्यास क्रम चल पड़ा।
विज्ञानमयकोश की साधना में आत्मपरिष्कार अनवरत जारी है।
आनंदमयकोश की साधना में I’m the source of happiness को जीया जा रहा है।

आ॰ मनोज जी (प्रज्ञा कुंज सासाराम, बिहार)

बाबूजी के सान्निध्य में गायत्री पंचकोशी साधना का अभ्यास करता हूं।
उपलब्धियां – चरित्र, चिंतन व व्यवहार में आदर्शों का समावेश। श्रद्धा, प्रज्ञा, निष्ठा व श्रमशीलता जीवन का अनिवार्य अंग अवयव बनते जा रहे हैं। सेवा अस्माकं धर्मः @ कर्मण्येवाधिकारस्ते …. @ कर्म-योग सबसे बड़ी उपलब्धि रही है।

आ॰ सुरेन्द्र पटेल जी (हरिद्वार, उत्तराखंड)

Research Scholar – doing PhD in Panchkosh Sadhna
उपलब्धियां –  गुरूदेव के विचारों को आचरण में नित्य जीवंत पल्लवित-पुष्पित किया जा रहा है।
होता है जब आदमी को अपना ज्ञान – कहलाया वो शक्तिमान।

जिज्ञासा समाधान – श्रद्धेय लाल बिहारी बाबूजी

सभी मित्रों को सत् सत् नमन आभार।
आ॰ पुरूषोत्तम मोड जी कृषक और पौधों से बातचीत करने की शैली अर्थात् विज्ञानमयकोश पर शोध कर रहे हैं।
डा॰ अमित जी मनोचिकित्सक हैं मनोमयकोश के researcher हैं।
सभी अनुभवी साधकों का समूह अपने अपने कार्यक्षेत्र में – शिक्षक वृन्द के रूप में वृन्दावन (ज्ञानयोग + कर्मयोग + भक्तियोग) को पल्लवित-पुष्पित कर रहे हैं।

ॐ  शांतिः शांतिः शांतिः।।

Writer: Vishnu Anand

 

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