Pragyakunj, Sasaram, BR-821113, India
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Experience Sharing – 4

Experience Sharing – 4

PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 10 Apr 2021 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह

ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌|

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sᴜʙᴊᴇᴄᴛ: जिज्ञासा समाधान/ अनुभव शेयरिंग

संचालन: आ॰ सुभाषचन्द्र सिंह जी

Broadcasting: आ॰ अमन जी

आ॰ डा॰ ममता सक्सेना जी (IAS, D.G नई दिल्ली)

यज्ञोपैथी पर रिसर्च जारी है। नित्य प्रातः 4 बजे जग जाती हैं।
उपलब्धियां – शारीरिक स्तर पर arthritis, low backache, cervical spondylitis, weakness etc. जैसे रोगों से निजात पाया गया। शरीर ऊर्जावान रहता है।
मानसिक स्तर पर धैर्य, साहस, निर्भयता, प्रसन्नता, आत्मीयता में उत्तरोत्तर अभिवृद्धि हो रही है।
परिवार में आत्मीयता, सौहार्द्र, सुख समृद्धि शांति है। परिवार स्वर्ग बनता जा रहा है। हम नित्य यज्ञ करते हैं।

आ॰ पल्लवी जी (Engineer, कैलिफोर्निया, USA)

बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना अनवरत जारी है।
उपलब्धियां: आधि व्याधि रहित (disease free) जीवन जी रही हूं। गुरूदेव के शिक्षण को गुण, कर्म व स्वभाव में जीवंत किया जा रहा है। Emotions कमजोरी का नहीं प्रत्युत् सशक्तिकरण का माध्यम हैं। Physically, mentally and emotionally strong बनती जा रही हूं‌।

आ॰ गोकुल मुन्द्रा जी (कलकत्ता, प॰ बं॰)

आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में हम सभी गायत्री पंचकोशी साधना कर रहे हैं।
उपलब्धियां – शरीर को भगवान का मंदिर समझ कर आत्म-संयम व नियमितता से आरोग्य की रक्षा की जाती है।
निश्चिंतता स्वभाव में समाविष्ट होती जा रही है। निर्भयता में अभिवृद्धि होती रही है। 
जप युक्त ध्यान करता हूं। तन्मात्रा साधना से अनासक्त कर्म जीवन साधना का अनिवार्य अंग अवयव है।
सोऽहं साधना से निद्रा – योग (addition) अर्थात् योगनिद्रा में परिणत हो गईं।
गुरूदेव के प्रति आस्था निरंतर प्रगाढ़ होती जा रही है।

आ॰ शरद निगम जी (Businessman, चित्तौड़गढ़, राजस्थान)

सन् 2003 में गायत्री दीक्षा ली। आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में विगत 4 वर्षों से गायत्री पंचकोशी साधना अनवर जारी है।
उपलब्धियां – Cervical spondylitis से निजात मिली। प्राणाकर्षण प्राणायाम से प्राणशक्ति में अभिवृद्धि (healing) की गई।
नियंत्रित, संतुलित, शांत व प्रसन्नचित्त मन परम मित्र (best friend) की भूमिका में है।
आत्मानुभूति योग व सोऽहं साधना से वसुधैव कुटुंबकम् को व्यवहारिक रूप से जी रहा हूं। हर हाल मस्त रहता हूं।

आ॰ रूपा जी (गृहिणी, डेहरी ओनसोन, सासाराम, बिहार)

आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना कर रही हूं।
उपलब्धियां  –  खाना खाने की कला ‘ऋतभोक्, मितभोक्, हितभोक्’ की सिद्धि मिली।
समाज में साहसिक कार्यों में सहभागिता सुनिश्चित की जाती हैं।
स्वाध्याय जीवन में सिद्ध होता जा रहा है।

आ॰ वीणु जी (जार्जिया, USA)

अनुभव को शब्द रूप देना कठिनतम कार्यों में से एक हैं। आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना कर रही हूं।
उपलब्धियां – मैंने स्वयं को पाया है। जीवन की चुनौतियों को उपलब्धियां में परिणत किया है। और इस हेतु प्रेरणास्रोत बनने हेतु प्रयासरत रहती हूं।
‘आत्मा’ थकती नहीं है। ऊर्जावान महसूस करती हूं। जीवन में उमंग, आनंद, उल्लास, धैर्य समाविष्ट हैं। आत्मवत् सर्वभूतेषु .. को जीवन में जी रही हूं। ‘अनासक्त’ जीवन जीती हूं। ‘स्वाध्याय’ से अनवरत लाभ ले रही हूं। हर हाल मस्त रहती हूं। गुरूदेव का आशीष व बाबूजी के मार्गदर्शन में जीवन यात्रा (अंतरंग परिष्कृत – बहिरंग सुव्यवस्थित) आनंद का पर्याय बनता जा रहा है।

आ॰ मोहन जी (मुरादनगर, दिल्ली)

आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना कर रहा हूं।
उपलब्धियां – शरीर के आधि व्याधि से निजात मिली। आलस्य/ प्रमाद से मुक्ति मिली। ऊर्जावान व स्फूर्तिवान हूं। प्राणायाम से संयमित जीवन की सिद्धि मिली। चिंतन, चरित्र व व्यवहार में आदर्शों का समावेश हो रहा है। ‘स्वाध्याय’ से साधना को नित्य नये आयाम मिलते हैं। आत्मानुभूति योग के अभ्यास से विज्ञानमयकोश की साधना जारी है। प्रसन्नचित्त रहता हूं।

आ॰ पीताम्बर जी (बोकारो, झारखंड)

बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना कर रहा हूं।
उपलब्धियां – शरीर भाव से उपर उठ रहा हूं। निर्भय हूं। आत्मभाव जाग्रत रहता है। मन शांत व प्रसन्नचित्त रहता है। दृष्टिकोण परिष्कृत होती जा रही है।

आ॰ भारती जी (योग शिक्षक, समाजसेवी USA)

विगत 12 वर्षों से योगाभ्यास करती हूं। आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में विगत 4 वर्षों से गायत्री पंचकोशी साधना जारी है।
उपलब्धियां – स्वस्थ तन व स्वस्थ मन। क्रिया में भावना का समावेश होने से ‘क्रियायोग’ सिद्ध होती जा रही हैं। सकारात्मकता में नित्य अभिवृद्धि होती जा रही है। चुनौतियां/ संघर्ष विक्षोभ का कारण नहीं बनती प्रत्युत् प्रगति को adventurous बनाती हैं।

आ॰ शिवांगी जी व अमित गुप्ता जी (योग शिक्षक, सिंगापुर)

बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना जारी है।
उपलब्धियां – क्रियायोग का अभ्यास संग लोगों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रेरणा को धारण कर सह प्रसार किया जा रहा है। मन शांत व प्रसन्नचित्त रहता है। धैर्य, सकारात्मकता में उत्तरोत्तर अभिवृद्धि होती जा रही हैं।

श्रद्धेय लाल बिहारी बाबूजी

सभी को सादर नमन व आभार। सभी साधकों को सुनकर हार्दिक प्रसन्नता व सुखद अनुभूति हुई। पूर्ण स्वावलंबन को जीवंत देख कर मन आह्लादित है।
चेतनात्मक स्तर पर cleaning & healing प्रत्यक्ष दिख रहा है। ग्रंथि भेदन से सभी संकीर्णता को बेध कर नये आयाम में प्रवेश कर रहे हैं।
सभी साधक आमने-सामने होकर अभिव्यक्ति दें, इससे प्राण प्रत्यावर्तन में सुविधा मिलती है।

ॐ  शांतिः शांतिः शांतिः।।

Writer: Vishnu Anand

 

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