Pragyakunj, Sasaram, BR-821113, India
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Experience Sharing – 5

Experience Sharing – 5

PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 11 Apr 2021 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह

ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌|

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sᴜʙᴊᴇᴄᴛ: जिज्ञासा समाधान अनुभव शेयरिंग

Broadcasting: आ॰ अमन जी

संचालन: आ॰ सुभाषचन्द्र सिंह जी

आ॰ अमन जी (शिकोहाबाद, उ॰ प्र॰)

गुरूदेव के सुक्ष्म संरक्षण और बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना 2015 में शुरू की।
उपलब्धियां – साधना को दिशा मिली। पाचन तंत्र को मजबूत बनाया गया। शरीर को हल्का बनाया गया। ब्रह्म मुहूर्त में जगना होता है। आलस्य प्रमाद नहीं होता। प्राण को आयाम देकर मन को नियंत्रित किया गया। जप व ध्यान से नियंत्रित, संतुलित, शांत व प्रसन्नचित्त मन परम मित्र की भूमिका में हैं। ‘गायत्री महाविज्ञान’ व ‘मैं क्या हूं?’ स्वाध्याय @ जीवन साधना के अंग हैं। ‘ग्रंथि-भेदन’ से त्रिगुणात्मक संतुलन को पाया गया।

आ॰ अंकुर सक्सेना जी (Software Engineer, गाजियाबाद, उ॰ प्र॰)

सन् 2000 में गायत्री दीक्षा ली। बाबूजी के मार्गदर्शन में सन् 2015 से गायत्री पंचकोशी साधना शुरू की।
उपलब्धियां – योग साधना में रूचि जगी। वेदांत उपनिषद् का स्वाध्याय संभव बन पड़ा। बाबूजी के मार्गदर्शन और गुरूदेव के सुक्ष्म संरक्षण को अनुभव किया जा सकता है। सीखा ही नहीं वरन् प्रगति भी संभव बन पड़ा।

आ॰ डा॰ अर्चना राठौड़ जी (प्रोफेसर, नोएडा, उ॰ प्र॰)

बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना शुरू की।
उपलब्धियां – नियमितता की सिद्धि मिली। साक्षी भाव सध रहा है। उपनिषद् स्वाध्याय संभव बन पड़ा है। संयम (नियंत्रण) सिद्धि मिली। सहजता में अभिवृद्धि हुई।

आ॰ K. V Dube जी (मानवधिकार कर्मी, मुंबई, महाराष्ट्र)

गुरूदेव के सुक्ष्म संरक्षण व बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना शुरू की।
उपलब्धियां – योगाभ्यास सिद्ध हुआ। स्वाध्याय नित नये आयाम ले रहे हैं। आहार विहार नियंत्रित हुए अर्थात् संयम सिद्धि मिली। प्राण क्षरण को रोक कर उन्हें नित आयाम देकर उसके सुनियोजन सिद्ध हुआ। आत्मवत् सर्वभूतेषु में त्राटक, आत्मानुभूति योग और ग्रंथि भेदन की साधना ने अप्रतिम भूमिका निभाई।

आ॰ डा॰ अशोक कुमार जी (बोस्टन, USA)

आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में सन् 2015 से गायत्री पंचकोशी साधना शुरू की।
उपलब्धियां – ICDES Boston में registered हुआ। साधना पद्धति का मर्म समझ आया। योगाभ्यास में सहजता व नियमितता आईं। ICDES website.

आ॰ विजय गोयल जी (Astrologer, जयपुर, राजस्थान)

आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में सन् 2017 से गायत्री पंचकोशी साधना शुरू की।
उपलब्धियां – जप व ध्यान के मर्म को समझा। यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार की परिपक्वता से जप व ध्यान सधता है। ज्योतिष विज्ञान को दिशा मिली। शांति, धैर्य, प्रसन्नता व आत्मीयता का विस्तार।

आ॰ संजय शर्मा जी (Ex-serviceman, नई दिल्ली)

आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में सन् 2015 से गायत्री पंचकोशी साधना शुरू की।
उपलब्धियां – तन्मात्रा साधना सिद्धि। व्यवहार @ स्वभाव परिष्कृत – परिमार्जित। निर्भयता। नियंत्रित, संतुलित, शांत व प्रसन्नचित्त मन।

आ॰ किशोरी वन्दना जी (गृहिणी, बैंगलोर, कर्नाटक)

बाल्यकाल में गायत्री दीक्षा ली। आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में सन् 2015 गायत्री पंचकोशी साधना शुरू की।
उपलब्धियां – प्रसन्नता। साधना की दिशा व लक्ष्य का संज्ञान हुआ। शारीरिक रोगों से निजात पाया गया। प्राणाकर्षण प्राणायाम ऊर्जा का असीम स्रोत। आत्मीयता का विस्तार। मस्त एवं व्यस्त।

आ॰ लोकेश चौधरी जी (योग शिक्षक, PhD in Yoga, राजस्थान)

शुरुआत से ही योग का छात्र रहा। आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में सन्  गायत्री पंचकोशी साधना शुरू की।
उपलब्धियां – योगाभ्यास की सिद्धि। अखंडानंद। जो भी उपलब्धियां योगशास्त्र में लिखी गई हैं वो पूर्णतः वास्तविक हैं। सहज व आनंदित जीवन।

आ॰ शिवाकांत त्रिपाठी जी (NCR नई दिल्ली)

आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में सन् 2015 से गायत्री पंचकोशी साधना शुरू की।
उपलब्धियां – साधना को दिशा मिली। साधना में प्राण आ गये। वीरभद्र का तत्त्व ज्ञान समझ आया।

आ॰ कमला देवी जी (गृहिणी, पटना, बिहार)

आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में सन् 2016 से गायत्री पंचकोशी साधना शुरू की।
उपलब्धियां – साधना को दिशा मिली। अध्यात्म के मर्म को समझा – अंतरंग परिष्कृत व बहिरंग सुव्यवस्थित। सकारात्मकता का विकास। आत्मीयता का विस्तार। परिवार – स्वर्ग। आध्यात्मिक कायाकल्प।

आ॰ डा॰ रूद्र भण्डारी जी (योग-प्रोफेसर in पतंजलि विश्वविद्यालय, हरिद्वार)

आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना शुरू की।
उपलब्धियां – योग साधना के मर्म को आत्मसात किया गया।

श्री विष्णु आनन्द जी (Ex-serviceman, कटिहार, बिहार)

बाबूजी के स्नेहाशीष मार्गदर्शन संग गायत्री पंचकोशी साधना का अभ्यास अनवरत जारी है।
उपलब्धियां – मैंने स्वयं को पाया है। I truly love myself so I love each & everything. सीखता हूं, सीखे को अभ्यास में लाता हूं। दोनों का समन्वय ‘सेवा’ में सुनियोजित करता हूं।
नित्य सीखा जाय, अभ्यास किया जाए व परिपक्वता (सरसता) संग सेवा में संलग्न रहा जाए। सरसता हेतु स्थूल शरीर, सुक्ष्म शरीर व कारण शरीर तीनों को साधना अर्थात् परिष्कृत होना अनिवार्य है। जिस हेतु युगानुकुल सरल, सहज, सुबोध, सर्वोपयोगी सर्वथा हानिरहित (harmless) गायत्री पंचकोशी साधना।

श्रद्धेय श्री लाल बिहारी बाबूजी

सभी को सादर नमन आभार। आपकी अभिव्यक्ति प्रसन्नता का विषय है। आ॰ अमन जी से विनम्रता, अंकुर जी से गहनता, अर्चना जी से अध्ययन, के वी दुबे जी की गहन साधना, अशोक जी की वैज्ञानिकता, विजय गोयल जी से आध्यात्मिक ज्योतिष विज्ञान, संजय जी की तन्मात्रा साधना, किशोरी दीदी जी की कर्मठता, लोकेश जी की आनंदमय कोश की PhD व उनकी योगसिद्धि, शिवाकांत त्रिपाठी जी की उमंग व आत्मीयता, वृद्धावस्था में कमला दीदी की ऊर्जा से मैं नित्य सीखता, प्रेरित होता हूं।

नवरात्रि साधना
१. ऋतभोक्, मितभोक् व हितभोक् एवं योगासन।
२. संयम, प्राण अभिवर्धन सह संवर्धन।
३. स्वाध्याय व सत्संग।
४. आत्मबोध व तत्त्वबोध।
५. श्रद्धया सत्यमाप्यते।
योगतत्त्व उपनिषद् की आनलाईन ग्लोबल कक्षा ली जायेंगी।

योग-साधना के practical को कुशल प्रशिक्षक के मार्गदर्शन में सीखने से side affects नहीं होते।

ॐ  शांतिः शांतिः शांतिः।।

Writer: Vishnu Anand

 

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