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PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 27 Mar 2022 (5:00 am to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
SUBJECT: अनुभव शेयरिंग एवं काउंसलिंग
Broadcasting: आ॰ अमन जी/ आ॰ अंकुर जी/ आ॰ नितिन जी
Hosting: आ॰ सुभाष चन्द्र सिंह जी (गाजियाबाद, उ॰ प्र॰)
पंचकोश अर्थात् पंचाग्नि विद्या :-
1. अन्नमयकोश – प्राणाग्नि
2. प्राणमयकोश – जीवाग्नि
3. मनोमयकोश – योगाग्नि
4. विज्ञानमयकोश – आत्माग्नि
5. आनंदमयकोश – ब्रह्माग्नि
योगाग्नि प्रज्वलित (मनोमयकोश जागरण) से विचारों का क्रम सुव्यवस्थित होता है । विचार शक्ति प्रबुद्ध होने से चेतनात्मक मनोभूमि तैयार होती है और अनंत आयामों की यात्रा सहज होती है ।
आत्माग्नि प्रज्वलित (विज्ञानमयकोश जागरण) से सत्य (स्वयं व संसार) का भान (ठीक ठीक पूर्ण ज्ञान) होता है ।
When it comes to skills, age is just a number.
कार्यक्षेत्र में संपर्क में आने वाले परिजनों के अंदर आत्मीयता का प्रसार कर आत्मसाधना (पंचकोश साधना) का प्रसार किया जा सकता है ।
पकड़ना हो (धारण) तो उसके लाभ का और छोड़ने हेतु (प्रत्याहार) उसके हानि का चिंतन मनन मंथन एवं तदनरूप क्रियान्वयन से ‘संयम’ सधता है ।
उपलब्धियां:
१. असाध्य रोगों से निवृत्ति
२. ऊर्जावान/ अनासक्त कर्मयोग
३. प्राणवान
४. शांत चित्त
५. आदर्श परिवार
६. पवित्रता (शुचिता)
७. गायत्री चेतना केन्द्र, सुदामा नगर में वर्गाकार पैतृक जमीन पर (लगभग 40000 वर्ग फीट) एरिया में विकसित किया गया है । यह केन्द्र 100 फीट मेन रोड पर स्थित है । अप्रैल माह में एक वृहत आध्यात्मिक शैक्षणिक अनुष्ठान कार्यक्रम (वशिष्ठ स्तर) पर किया जा रहा है जिसमें सभी आत्मीय परिजन सपरिवार सस्नेह सादर निमंत्रित हैं । शेड्यूल ग्रुप में शेयर किया जायेगा ।
1. आ॰ पुरूषोत्तम मोड जी
उपलब्धियां: आरोग्य, ओज – तेज़, अनासक्त/ निष्काम भाव हेतु प्रगतिशील, भाव संवेदनाएं (सज्जनता – सहृदयता), 24 गांवों में पंचकोशी क्रियायोग प्रसार हेतु प्रयासरत आदि ।
2. आ॰ भजनलाल मालवीय जी (कंप्यूटर सेंटर संचालक, प्रज्ञा पुत्र, मुल्तई, बेतूल, म॰ प्र॰)
उपलब्धियां: नियमितता, perfection, स्वस्थ शरीर, प्राणवान, शांत चित्त हेतु प्रयासरत आदि ।
3. आ॰ संजय शर्मा जी (Ex-serviceman, दिल्ली)
उपलब्धियां: ग्रन्थि भेदन शोध पत्र आदि ।
सुझाव: ग्रन्थि भेदन को पंचकोश साधना की शुरुआत में रखनी चाहिए ।
4. आ॰ उमा सिंह जी (गृहिणी, बैंगलोर, कर्नाटक)
उपलब्धियां: यत् ब्रह्माण्डे तत् पिण्डे । मनो वै संसारः । अनासक्त निष्काम भाव से विज्ञानमयकोश परिपक्व, प्रबंधन (इन्द्रिय संयम + समय संयम + विचार संयम + अर्थ संयम ) । परिजनों में पंचकोशी क्रियायोग के प्रति आस्था आदि ।
5. आ॰ भूपेंद्र राणा जी (पंचगव्य शोधकर्ता, शिमला, हिमाचल प्रदेश)
उपलब्धियां: सकारात्मकता, सुलझन, आवेश नियंत्रण, स्नेह सौजन्य, सद्भावना आदि ।
लक्ष्य: लोकसेवा, पंचकोश साधना व विचार क्रांति अभियान का प्रचार प्रसार ।
6. आ॰ मोहन कुमार जी (NCR, Delhi)
उपलब्धियां: स्वस्थ शरीर, शांत व संतुलित मन, व्यक्तित्व निर्माण (उत्कृष्ट चिंतन + आदर्श चरित्र + शालीन व्यवहार) से प्रेरणा प्रसार, निःस्वार्थ प्रेम – आत्मीयता आदि ।
7. आ॰ Kelly Roark जी (Boston, USA)
उपलब्धियां: awakening, awareness, energetic, good use of skills, focused, kindness, feeling fortunate, spirituality etc.
8. आ॰ रामलता कुमारी जी (BSNL employee, पटना, बिहार)
उपलब्धियां: संयमित जीवनशैली, स्वस्थ शरीर, ऊर्जावान, शांत व प्रसन्न मन, सादगी, आत्मप्रगति आदि ।
9. आ॰ मनोज कुमार जी (प्रज्ञाकुंज सासाराम, बिहार)
उपलब्धियां: आस्तिकता (हर हाल मस्त), अनासक्त कर्मयोग, सकारात्मकता, स्नेह सौजन्य, सहृदयता आदि ।
10. आ॰ सुगम कुमार जी (BSc & MSc in Computer science, MSc in Yoga, योगाचार्य, हैदराबाद, आंध्रप्रदेश)
उपलब्धियां: परिष्कृत परिमार्जित दृष्टिकोण, सकारात्मकता, decision making, गुरू तत्त्वानुभूति आदि ।
11. आ॰ स्वीटी कुमारी जी (Tailor master, गृहिणी, पटना, बिहार)
उपलब्धियां: आत्मीयता, इन्द्रिय संयम, समय संयम, विचार संयम, अर्थ संयम, विचार क्रांति अभियान आदि ।
12. आ॰ विश्वजीत आनन्द जी (छात्र, मधेपुरा बिहार)
उपलब्धियां: सात्विक आहार विहार, गुरू कृपा आदि ।
13. आ॰ प्रतिभा सिंह जी (गृहिणी, लखनऊ, उ॰ प्र॰)
उपलब्धियां: ऊर्जावान, क्रियावान, निष्ठावान, लक्ष्यभेद, सुसंतुलित मनः स्थिति आदि ।
14. आ॰ अशोक कुमार गुप्ता जी व निम्मी रानी गुप्ता जी (बैंगलोर)
उपलब्धियां: चरित्र चिंतन व व्यवहार के धनी, आरोग्य, मनसा वाचेण कर्मणा एकरूपता, प्रसन्नता व आत्मीयता आदि ।
श्रद्धेय श्री लाल बिहारी सिंह ‘बाबूजी’
अभी तक 4 कक्षाओं में कुल 40 participants ने अपने अनुभव साझा किया ।
अनुभवों को सुनने के उपरांत साधकों के चेतनात्मक गांठों के संज्ञान में आने से सुलझाने में सहजता होती है ।
समर्पण विलय विसर्जन से बात बनती है ।
आगामी 5 वर्ष की कक्षाएं कुण्डलिनी जागरण पर चलेंगी । भुलक्कड़ी @ आत्मविस्मृति – विषयासक्त मन से होती है । रूपांतरण से बात बनती है । कुण्डलिनी जागरण में रूपांतरण की कला सिखाई जाएंगी @ transmutation of sex energy.
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ।।
Writer: Vishnu Anand
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