Introduction to Manomay Kosh
PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 27 Feb 2021 (5:00 am to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्|
sᴜʙᴊᴇᴄᴛ: Introduction to मनोमयकोश
Broadcasting: आ॰ अमन जी
आ॰ विष्णु आनन्द जी (कटिहार, बिहार)
आ॰ लोकेश चौधरी जी, ‘योग प्रशिक्षक’ (चित्तौड़गढ़, राजस्थान)
जिनका ‘मनोमयकोश‘ उज्जवल नहीं है उनके लिए ‘अकेलापन’ (loneliness) है। जिनका उज्जवल है उनके लिए ‘एकांत’।
‘मनोमयकोश‘ का आधार ‘अन्नमयकोश’ व ‘प्राणमयकोश’ हैं और मनोमयकोश आधार हैं ‘विज्ञानमयकोश’ व ‘आनंदमयकोश’ का।
‘मन‘ एक महान ‘नट’ (actor) है वही समयानुसार ‘बुद्धि’, ‘चित्त’ व ‘अहंकार’ रूपेण कार्यरत होता है।
‘मन‘ विषयासक्त’ होता है और तदनुरूपरूप ‘इन्द्रियों’ को कार्य में नियोजित करता है। मन पर बुद्धि का नियंत्रण हो।
‘मन‘ की शक्ति अनंत है। नियंत्रित मन से संसार की सारी ‘सिद्धि’ लभ्य है।
‘मन‘ को स्वच्छ, संतुलित अर्थात् साधने हेतु 4 अभ्यास ‘जप’, ‘ध्यान’, ‘त्राटक’ व ‘तन्मात्रा साधना’ हैं।
प्रश्नोत्तरी
‘जप‘ मंत्रों की पुनरावृत्ति से अनुभूति तक की यात्रा है।
‘अभ्यास‘ व ‘वैराग्य’। वैराग्य, ‘राग’/ आसक्ति (लोभ, मोह व अहंकार) से लिया जाता है।
प्रश्नोत्तरी सेशन विद् श्रद्धेय लाल बिहारी बाबूजी
‘मन‘ भोजन (food) को देख कर उसके ‘स्वाद’ के अनुभव का स्मरण (तन्मात्रा) करता है। भोजन करने से पहले गायत्री महामंत्र का मानसिक जप फिर भोजन के अंदर झिलमिलाते ‘ईश्वर’/ आदर्शों को देखकर ‘त्राटक’ का अभ्यास किया जा सकता है।
‘निद्रा‘ विश्राम का द्योतक है। संसार के सारे ‘आलंबनों’ को छोड़ना अर्थात् ‘योगनिद्रा’ है। ‘आत्मबोध’ व ‘तत्त्वबोध’ की साधना से ‘निद्रा’ भी जाग्रति को प्रशस्त करती हैं।
‘चेतना‘ ही अलग-अलग स्थिति में मन,
बुद्धि, चित्त व अहंकार हैं। जब अपनी चित्त व वृत्ति का साक्षात्कार हो जाता है तो अन्य की चित्त वृत्ति को समझा जा सकता है। जब इससे भी उपर ‘आत्म’ – ‘परमात्म’ भाव जाग्रत रहता है तब हम ‘चिदाकाश’ में रहते हैं।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।
Writer: Vishnu Anand
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