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Introduction to Panchkosh Yogic Science

Introduction to Panchkosh Yogic Science

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PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 16 Apr 2022 (5:00 am to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह

ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌ ।

SUBJECT: पंचकोश योग विज्ञान – परिचय (Introduction to Panchkosh Yogic Science)

Broadcasting: आ॰ अमन जी/ आ॰ अंकुर जी/ आ॰ नितिन जी

शिक्षकः आ॰ सुशील त्यागी जी (गाजियाबाद, NCR)

हम सभी ‘श्रेय‘ (infinite peace & bliss) व ‘प्रेय‘ (भौतिक सुख समृद्धि सामर्थ्य) के अभिलाषी हैं ।
अखंडानंद (breakless infinite happiness) के लिए हमें जीवन के दो महान उद्देश्य को साथ लेकर बढ़ना होता है:-

  1. आत्मबोध (गायत्री साधना @ पंचकोशी साधना – ज्ञान शक्ति ) – “मैं कौन हूं?”
  2. तत्त्वबोध (सावित्री साधना @ कुण्डलिनी जागरण – विज्ञान शक्ति) – धरा को स्वर्ग बनाना @ अनासक्त कर्मयोग @ unconditional love @ वसुधैव कुटुंबकम् ।

गायत्री की पंचकोशी साधना – http://literature.awgp.org/book/Gayatree_kee_panchakoshee_sadhana/v1.48

पंचकोश साधना:-

  1. अन्नमयकोश (Physical Body) – इन्द्रिय चेतना @ प्राणाग्नि @ स्थूल शरीर (मणिपुर चक्र) ।
    क्रियायोग – आसन, उपवास, तत्त्वशुद्धि व तपश्चर्या ।
    लाभ – निरोगता, दीर्घजीवन व चिरयौवन ।
  2. प्राणमयकोश (Etheric Body) – जीवनी शक्ति (विद्या, चतुराई, अनुभव, दूरदर्शिता, साहस, लगन, शौर्य, ओज, पुष्टि, पराक्रम, पुरूषार्थ, महानता आदि) @ जीवाग्नि (मूलाधार चक्र) ।
    क्रियायोग – प्राणायाम, बंध व मुद्रा ।
    लाभ – ऐश्वर्य, पुरूषार्थ, ओज-तेज व यश ।
  3. मनोमयकोश (Astral Body) – विचार बुद्धि (योगश्चित्तवृत्ति निरोधः) @ योगाग्नि (आज्ञा चक्र) ।
    क्रियायोग – जप, ध्यान, त्राटक व तन्मात्रा साधना ।
    लाभ – आकर्षक व्यक्तित्व, धैर्य, मानसिक संतुलन व एकाग्रता – बुद्धिमत्ता ।
  4. विज्ञानमयकोश (Cosmic Body) – अचेतन सत्ता व भाव प्रवाह (आत्मवत् सर्वभूतेषु) @ आत्माग्नि (अनाहत चक्र) ।
    क्रियायोग – सोऽहं साधना, आत्मानुभूति योग, स्वर संयम व ग्रन्थि भेदन ।
    लाभ – अतीन्द्रिय क्षमता, दिव्य दृष्टि, दैवीय गुण व सज्जनता – सहृदयता ।
  5. आनंदमयकोश (Causal Body) – आत्मबोध – आत्म जागृति (वसुधैव कुटुंबकम्) @ ब्रह्माग्नि (सहस्रार चक्र) @ समाधिस्थ @ स्थितप्रज्ञ – आत्मस्थित ।
    क्रियायोग – नाद, बिन्दु, कला साधना व तुरीय स्थिति ।
    लाभ – आत्मसाक्षात्कार, ईश्वर दर्शन व अखंड आनंद ।

पाँच अग्नियों का आवरण पंचकोश – http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1983/January/v2.21

Brief on physical anatomy, endocrine system and its functions.

पंचकोश साधना is the best package for holistic management.

पंचकोश जीव विकास की क्रमिक प्रक्रिया ।

जिज्ञासा समाधान (आ॰ सुशील त्यागी जी, गाजियाबाद NCR)

नशा छोड़ने हेतु सर्वप्रथम मजबूत इच्छाशक्ति की आवश्यकता होती है । पारिवारिक माहौल में स्नेह व प्रेम प्रभावी हैं । जीवन में आस्तिकता, योगाभ्यास, स्वाध्याय व सत्संग आदि का समावेश प्रभावी हैं । Medicical help की आवश्यकता हो तो अवश्य ली जाए ।

आस्वाद व्रत में नमक व मीठा को छोड़ने को प्राथमिकता दी जा सकती है ।

जिज्ञासा समाधान (श्री लाल बिहारी सिंह ‘बाबूजी’)

आ॰ सुशील जी को बहुत आभार ।

जानकारी (ज्ञान विज्ञान) संकेत मात्र है । श्रद्धया सत्य माप्यते ।

Endocrine system healthy – अन्नमयकोश उज्जवल ।
निर्भय, निडर व बहादुर (अवांछनीयता को किसी भी हाल में स्वीकार ना करना) – प्राणमयकोश उज्जवल ।
अनासक्त (संसार का कोई भी आकर्षण ना बांधे) – मनोमयकोश उज्जवल ।
अवधूत – विज्ञानमयकोश उज्जवल ।
अद्वैत – आनंदमयकोश उज्जवल ।

जीवेम शरदः शतम् – http://literature.awgp.org/akhandjyoti/1964/June/v2.39

ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ।।

Writer: Vishnu Anand

 

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