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Kundalini Jagran-2

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PANCHKOSH SADHNA –  Navratri Online Global Class – 10 April 2022 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह

ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌ ।

SUBJECT:  कुण्डलिनी जागरण-2

Broadcasting: आ॰ अंकूर जी/ आ॰ अमन जी/ आ॰ नितिन जी

श्रद्धेय श्री लाल बिहारी सिंह @ बाबूजी (सासाराम, बिहार)

साधना के तीन चरण:-
1. प्रारंभिक साधना (ज्ञानयोग) – नियमित जप व स्वाध्याय (अध्ययन + मनन चिंतन मंथन + निदिध्यासन) @ समर्पण @ उपासना (approached) ।
2. अनुष्ठान (कर्मयोग) – विलयन ‘तप + योग’  (गलाई + ढलाई) @ साधना (digested) ।
3. ब्रह्म सायुज्यता (भक्तियोग) – विसर्जन @ एकत्व @ अद्वैत @ अराधना‌ (realised) ।
अद्वैत @ एकत्व हेतु गायत्री की हेतु 2 उच्चस्तरीय साधनाएं:-
(क) पंचकोशी साधना – आत्मा के 5 आवरण का अनावरण/ परिष्करण so that आत्मप्रकाश/ आत्मबोध/ आत्मजागृति संभव बन पड़े ।
(ख) कुण्डलिनी जागरण साधना – व्यष्टिगत चेतना का समष्टिगत चेतना में विलयन विसर्जन @ अद्वैत ।

परिपक्व साधक, चिंतन, चरित्र व व्यवहार के धनी होते हैं:-
1. चिंतन – उत्कृष्ट (प्रज्ञावान) ।
2. चरित्र – आदर्श (निष्ठावान) ।
3. व्यवहार – शालीन (श्रद्धावान) ।

पर्व त्योहार संस्कारों का सार्वभौम उद्देश्य ‘देव संस्कृति’ (मानव में देवत्व का संवर्धन + धरा पर स्वर्ग का अवतरण) का अभ्युदय उत्थान ।

रामचरित मानस के एक एक मंत्र में अनंत ज्ञान भरा हुआ है (वेदो वै अनंताः):-
1. सुसंतति हेतु संस्कार परंपरा । संस्कार महात्म्य का अध्यात्मिक वैज्ञानिक विवेचन ।
2. गुरूकुल (गुरू सान्निध्य) में हम ज्ञानार्थ (प्रारंभिक साधना) प्रवेश लेते हैं और सेवार्थ (परिपक्वता) निकलते हैं । राजकुमार राम गुरूकुल में प्रवेश पाते हैं और भगवान राम बनकर निकलते हैं ।
3. राम काज से पहले देव शक्तियां हनुमान जी की बल बुद्धि की परीक्षा लेती हैं । उत्तीर्ण अभ्यर्थियों (बहादुर + समझदार + ईमानदार व्यक्तित्व @ चरित्र, चिंतन व व्यवहार के धनी) को जिम्मेदारी प्रदान की जाती हैं ।
4. यदि ‘मन’ में (विषयासक्त) रावण चरित्र हो तो वो लंकाधिपति एवं (मर्यादा पुरुषोत्तम तपस्वी) ‘श्रीराम चरित्र’ हों तो अयोध्याधिपति ।
5. अज्ञान, अशक्त व अभावग्रस्त व्यक्तित्व मुर्दे के समान । @ येषां न विद्या न तपो न दानं, ज्ञानं न शीलं न गुणो न धर्मः। ते मर्त्यलोके भुविभारभूता, मनुष्यरूपेण मृगाश्चरन्ति॥
6. नवधा भक्ति – गायत्री महामंत्र की उपासना, साधना व अराधना’ ।
7. अजपा गायत्री @ हंसयोग @ सोऽहम साधना – सोहमस्मि इति बृत्ति अखंडा । दीप सिखा सोइ परम प्रचंडा ॥ आतम अनुभव सुख सुप्रकासा । तब भव मूल भेद भ्रम नासा ॥1॥ @ योऽसावसौ पुरुषः सोऽहमस्मि

जिज्ञासा समाधान

APMB (आसन, प्राणायाम, मुद्रा व बंध) ‘हठयोग’ अंतर्गत । गायत्री की उच्चस्तरीय साधनाओं (पंचकोश + कुण्डलिनी जागरण) में हठयोग व राजयोग का अद्भुत समन्वय है ।

व्यष्टि कुण्डलिनी – जीव शरीर के अंदर का बिजली घर (विद्युत उत्पादन केंद्र) । उत्पादन केंद्र – मूलाधार । समष्टि कुण्डलिनी – महाप्राण ।

ईश्वरीय कार्य (मनुष्य में देवत्व का संवर्धन + धरा पर स्वर्ग का अवतरण) के माध्यम बनने वाले श्रेय के अधिकारी होते हैं ।

जीवात्मा – आत्मा + पंचकोश (त्रैत – ब्रह्म,जीव व प्रकृति) । आत्मा – आत्मबोध (द्वैत – व्यष्टि चेतना + समष्टि चेतना @ ब्रह्म व जीव) । परमात्मा – अद्वैत (एकं ब्रह्म द्वितीयो नास्ति) ।  प्रसवन – एकोऽहम् बहुस्याम । प्रतिप्रसवन @ अनावरण प्रक्रिया @ Spritual Journey @ चरैवेति चरैवेति:-
1. अन्नमयकोश की आत्मा – प्राणमयकोश
2. प्राणमयकोश की आत्मा – मनोमयकोश
3. मनोमयकोश की आत्मा – विज्ञानमयकोश
4. विज्ञानमयकोश की आत्मा – आनंदमयकोश
5. आनंदमयकोश की आत्मा – आत्मा
6. आत्मा की आत्मा – परमात्मा @ एकं ब्रह्म द्वितीयो नास्ति । @ अद्वैत ।

10 मुद्राएं (जरा मरण नाशिनी) –  महामुद्रा, महाबंध, महाबेध, खेचरी, उड्डियान बंध, मूलबंध, जालंधर बंध, विपरीतकर्णी, वज्रोली व शक्तिचालिनी मुद्रा ।

ॐ  शांतिः शांतिः शांतिः।।

Writer: Vishnu Anand

 

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