Kundalini Ke Paanch Mukh – Paanch Shakti Pravah
Aatmanusandhan – Online Global Class – 10 July 2022 (5:00 am to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
SUBJECT: कुण्डलिनी के पांच मुख – पांच शक्ति प्रवाह
Broadcasting: आ॰ अंकूर जी/ आ॰ अमन जी/ आ॰ नितिन जी
शिक्षक: श्रद्धेय श्री लाल बिहारी सिंह @ बाबूजी (प्रज्ञाकुंज, सासाराम, बिहार)
जीव शरीर में कायागत ऊर्जा – व्यष्टि कुण्डलिनी; विश्वव्यापी ऊर्जा – समष्टि कुण्डलिनी ।
चेतना के 5 उभार:-
1. मन (mind)
2. बुद्धि (intellect)
3. इच्छा (will)
3. चित्त (mind stuff)
4. अहंकार (ego)
पंच तत्व – पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु व आकाश । (कपिल तंत्र) “आकाशस्याधिपो विष्णुरग्नेश्चैव महैश्वरी। वायोः सूर्यः क्षितेरीशो जीवनस्य गणाधितः॥”
पंच प्राण: प्राण, अपान, समान, उदान व व्यान । पाँच सहायक (लघुप्राण) – नाग, कूर्म, कृकल, देवदत्त व धनंजय ।
पंच ज्ञानेन्द्रिय – आँख, कान, नाक, जिह्वा व त्वचा ।
पंच कर्मेंद्रियां – वाणी, हाथ, पैर, जननेन्द्रिय व गुदा ।
पंच तन्मात्राएं – शब्द, रूप, रस, गंध व स्पर्श ।
(भौतिक विज्ञान) पाँच प्रमुख शक्तियां :-
1. महासत्व
2. अल्पसत्व
3. गुरुत्वाकर्षण
4. विद्युत्चुम्बकीय बल
5. एण्टीमैटर।
कुण्डलिनी के पाँच मुख (पंचकोश) व उनके 5 शक्ति प्रवाह (पंचाग्नि):-
1. अन्नमयकोश – प्राणाग्नि (आरोग्य) ,
2. प्राणमयकोश – जीवाग्नि (ऐश्वर्य, ओज, तेज़ व यश @ बहादुरी),
3. मनोमयकोश – योगाग्नि (इच्छाशक्ति, विचार शक्ति, एकाग्रता, मन – शांत व प्रसन्न @ समझदारी – IQ)
4. विज्ञानमयकोश – आत्माग्नि (भावना शील, तत्त्वज्ञानी, सज्जनता, सहृदयता सहिष्णुता, सहकारिता आदि @ ईमानदार – EQ) एवं
5. आनंदमयकोश – ब्रह्माग्नि (अद्वैत infinite peace and bliss @ SQ) ।
(महायोग विज्ञान) कुण्डलिनी शक्तिराविर्भवति साधके तदा स पंच कोशे मत्तेजोऽनुभवति ध्रुवम॥
“प्रतिभा = समझदारी + ईमानदारी + जिम्मेदारी + बहादुरी ।”
“पाँच वैभव – बल, धन, ज्ञान, विज्ञान व कौशल ।”
कुण्डलिनी जागृत व्यक्तित्व परावलंबी (परजीवी) नहीं होते हैं । स्वावलंबन – आत्मसाधक का आवश्यक/ अनिवार्य गुण । अतः धीरे बैशाखियों को छोड़ा जाए ।
कुण्डलिनी जागरण ध्यान धारणा (demonstration)
निखिल ब्रह्माण्ड में प्राण की चैतन्य विद्युत शक्ति सर्वत्र भरी पड़ी है । हम अपने संकल्प शक्ति पर चाहे जितनी मात्रा में उसे ग्रहण कर सकते हैं । अपनी पात्रतानुसार ही उसे धारण करना सम्भव है । सागर में अथाह पानी भरा है । जिसका बर्तन (पात्र) जितना बड़ा होगा वो उतना भरेगा ।
जिज्ञासा समाधान
योगी (आत्मसाधक) प्रारब्ध में नहीं बंधते हैं । प्रारब्ध की पहूंच शरीर (पंचकोश) तक है उससे परे ‘आत्मा’ तक नहीं । मनुष्य भाग्य/ परिस्थितियों का दास नहीं प्रत्युत् उसका निर्माता नियंत्रणकर्ता व स्वामी है ।
(समझदारी का next dimension) दूरदर्शी विवेकशीलता (ईमानदारी – बहुजन हिताय सर्वजन सुखाय) – विज्ञानमयकोश की उपलब्धि है । “IQ + EQ = SQ.” (IQ – intelligent quotient, EQ – emotional quotient, SQ – spritual quotient).
कुण्डलिनी जागरण (तपोयोग) से जन्म जन्मान्तरों के संचित कुसंस्कारों का शमन होता है ।
विशुद्धि चक्र के जागरण से अतीन्द्रिय क्षमताएं हस्तगत होती हैं जो विज्ञानमयकोश की उपलब्धि है । अतः इसकी संगति विज्ञानमयकोश से भी बिठाई जाती है ।
आत्मवत् सर्वभूतेषु एवं वसुधैव कुटुंबकम् – SQ के parameters के रूप में ले सकते हैं । SQ के धारक प्रतिभावान (समझदार + ईमानदार + जिम्मेदार + बहादुर) होते हैं । वे संत – सुधारक – शहीद की भूमिका में होते हैं ।
संसार एक शीशमहल (glasshouse) की तरह है जिसमें हमारा ही प्रतिबिंब प्रतिभासित होता है । हमारी आसक्ति (वासना + तृष्णा + अहंता) ही उद्विग्नता की जननी है । आत्मसुधार संसार की सबसे बड़ी सेवा है @ हम सुधरेंगे – जग सुधरेगा, हम बदलेंगे – युग बदलेगा । अतः साधक हेतु संसार बाधक नहीं है ।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।
Writer: Vishnu Anand
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