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Panchgavya

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पंचगव्य के विविध आयाम

PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class –  29 Jan 2022 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह

ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌ ।

SUBJECT: पंचगव्य के विविध आयाम

Broadcasting: आ॰ अमन जी/ आ॰ अंकुर जी/ आ॰ नितिन जी

आ॰ नितिन आहूजा जी (गुरूग्राम, हरियाणा)

भारतीय जीवनशैली में स्वस्थ शरीर हेतु निम्नांकित तीन की भूमिका अहम रही है:-
1. गौ-उत्पाद
2. तुलसी
3. रसोई

पंचगव्य (पंच + गव्य) अर्थात् निम्नांकित पांच को सामुहिक रूप से पंचगव्य के नाम से जाना जाता है:-
1. दूध
2. दही
3. घी
4. गौमूत्र
5. गोबर

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देशी गाय की पहचान (शारीरिक बनावट की दृष्टि से):-
1. सूर्यकेतु नाड़ी
2. गलकम्बल
3. घुमावदार पीठ
4. लम्बी पूंछ
5. पुष्ट नाभि

Pure Indian Breed की गायों के उत्पाद Cross Breed की गायों से कहीं बेहतर होती हैं ।

देशी व जर्सी गाय में अंतर – गुणों की दृष्टि से

देशी व जर्सी गाय में अंतर – रखरखाव की दृष्टि से

गौ-माता के शरीर का आध्यात्मिक वैज्ञानिक चित्रण सह विश्लेषण

पंचगव्य अमृत निर्माण की क्रियाविधि व उपयोग

पंचगव्य में समाया पंचमहाभूत:-
1. गौमय (गोबर) – पृथ्वी
2. गौदुग्ध – जल
3. गौघृत – अग्नि
4. गौमूत्र – वायु
5. छाछ (लस्सी) – आकाश

पंचगव्य के आयाम:-
1. संपूर्ण रोगों की चिकित्सा
2. नैसर्गिक कृषि (जैविक खेती)
3. व्यापार की अपार संभावनाएं
4. रोजगार
5. शिक्षण संस्थान
6. अनुसंधान व विकास
7. प्रदुषण नियंत्रण
8. आध्यात्मिक दैवीय शक्ति का आवाहन
………………

गुरूदेव के 24 वर्षीय साधना काल का आहार विश्लेषण – गाय के गोबर से निकले जौ की रोटी और छाछ पर चौबीस चौबीस लाख के चौबीस महापुरश्चरणों को संपन्न किया (सहयोगिनी – वंदनीय माता जी)

जिज्ञासा समाधान (श्री लाल बिहारी सिंह ‘बाबूजी‘)

आ॰ नितिन जी शोध को नमन ।

माता रुद्राणां दुहिता वसूनां स्वसाऽऽदित्यानाममृतस्य नाभि: । प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय मा गामनागामदितिं मा वधिष्ट ।। (ऋग्वेद ८/१०१/१५, अथवर्वेद ६/१/४, भविष्यपुराण ४/१९/६) अर्थात् गाय रुद्रों की माता, वसुओं की पुत्री, आदित्यों की बहन और धृतरुप अमृत का खजाना है, गाय परोपकारी एवं वध न करने योग्य है।

गायत्री, गौ, गीता और गंगा जी – http://literature.awgp.org/book/Bhartiya_Sanskriti_Ek_Jivan_Darshan/v1.168

देशी गाय के उन्नत नस्लों के पालन-पोषण को बढ़ावा दिया जाए एवं उनके उत्पादों को दैनंदिन जीवन में शामिल किया जाए ।

बैल/ बछड़ा में प्राण शक्ति की प्रचूरता होती है ।

ॐ  शांतिः शांतिः शांतिः ।।

Writer: Vishnu Anand

 

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