Panchgavya Chikitsa
PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 10 Sep 2022 (5:00 am to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
SUBJECT: पंचगव्य के विविध आयाम – 1. संपूर्ण रोगों की चिकित्सा
Broadcasting: आ॰ अमन जी/ आ॰ अंकुर जी/ आ॰ नितिन जी
शिक्षक बैंच: आ॰ नितिन आहूजा जी (गुरूग्राम, हरियाणा)
संपूर्ण विश्व प्राण ऊर्जा से संचालित है । गायत्री को प्राण कहा गया है (यो वै स प्राण, एषा स गायत्री । ) । प्राणों का त्राण करने वाली गायत्री हैं । गायत्री विद्या प्राण विद्या है ।
शरीर (पंचकोश) में पंचाग्नि (प्राणाग्नि, जीवाग्नि, योगाग्नि, आत्माग्नि व ब्रह्माग्नि) उसी प्रकार तपती रहती हैं जिस प्रकार विश्व में प्राण ऊर्जा सतत प्रवाहमान है ।
पंचगव्य व इसके उपगव्य में प्राण शक्ति प्रचूर मात्रा में है जिसके सेवन से हम प्राणवान बन सकते हैं ।
1. प्रथम सुरक्षा चक्र – गौ माता
(क) गौ माता निवास स्थल के आस पास वायरस नष्ट हो जाते हैं ।
(ख) तांत्रिक दुष्प्रभाव नष्ट ।
2. द्वितीय सुरक्षा चक्र – तुलसी
(क) त्रिदोष नाशक
(ख) 24 घंटे आक्सीजन प्रदात्री
3. तृतीय सुरक्षा चक्र – रसोईघर
(क) मिट्टी, कांस्य आदि के बर्तन में भोजन
(ख) रसोईघर के मसाले औषधियां
PPT Presentation :-
1. पंचगव्य व इसके उपगव्य (गोबर, गौमुत्र, दूध, घी, छाछ, मक्खन, दही, पनीर आदि) की प्रकृति व लाभ पर प्रकाश ।
2. पंचगव्य व पंचभूतात्मक मानव शरीर में संबंध ।
3. पंचगव्य के औषधीय गुण व उपयोग ।
4. गौमुत्र संग्रह के नियम ।
5. गौमुत्र अर्क औषधि व इनके उपयोग ।
जिज्ञासा समाधान
गौशाला में प्रशिक्षित व्यक्ति उचित तरीके से पंचगव्य औषधि का निर्माण करते हैं ।
धनवटी में गौमुत्र के साथ अन्य औषधियों का मिश्रण कर solid form (टेबलेट) में बनाया जाता है ।
सूर्य केतु नाड़ी (भारतीय नस्ल की कूबड़ वाली) गोमाता की पीठ पर होती है ।
गौमुत्र धनवटी के पाचन में अधिक ऊर्जा खपत होती है अतः ज्यादा बीमार व्यक्ति गौमुत्र अर्क को लिक्विड फार्म में सेवन कर सकते हैं ।
भारत में साहीवाल, गिर, थारपारकर और लाल सिंधी समेत कई अन्य देसी नस्ल है ।
जिज्ञासा समाधान (श्री लाल बिहारी सिंह ‘बाबूजी’)
आ॰ नितिन आहूजा जी को आभार व सभी पार्टिसिपेंट्स को नमन ।
(प्रज्ञाकुंज सासाराम में आयोजित) आगामी नवरात्रि साधना सत्र में आत्मसाधकों पर पंचगव्य औषधियों का प्रयोग कर शोधकार्य को प्रगति दी जा सकती है ।
12 तपों में एक गव्य तप है । पंचगव्य व इनके उपगव्य के सेवन से चेतना परिष्कृत की जा सकती है ।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ।।
Writer: Vishnu And
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