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Panchkosh Sadhna Experience Sharing – 1

Panchkosh Sadhna Experience Sharing – 1

PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 18 Sep 2021 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह

ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌।

SUBJECT: पंचकोश साधना अनुभव – 1

Broadcasting: आ॰ अमन जी

Hosting: आ॰ श्री सुभाष चन्द्र सिंह

आ॰ सुभाष सिंह जी (गाजियाबाद, उ॰ प्र॰)

पंचकोश साधना कक्षा का 9th semester. सभी साधकों का दायित्व है कि वो आत्मसमीक्षा करें और आत्मसुधार – आत्मनिर्माण व आत्मविकास का मार्ग प्रशस्त करें।

गायत्री मंजरी

विज्ञानमयान्नमय – प्राणमय – मनोमयाः । तथानन्दमयश्चैव पंचकोशाः प्रकीर्तिताः ।।१३।। – अन्नमय, प्राणमय, मनोमय, विज्ञानमय व आनन्दमय ये पाँच कोश कहलाते हैं।

एष्वेव कोशकोशेषु ह्यनन्ता ऋद्धि सिद्धयः । गुप्ता आसाद्य या जीवो धन्यत्वमधिगच्छति ।।१४।। – इन्हीं कोशरूपी भण्डारों में अनन्त ऋद्धि – सिद्धियां छिपी हुई हैं, जिन्हें पाकर जीव धन्य हो जाता है।

उपलब्धियां – आरोग्य, मेधा/ प्रज्ञा, नियमितता, आत्मीयता, सज्जनता, उदारता आदि।

आ॰ श्री नागेन्द्र सिंह जी (प्रोफेसर, दिल्ली)

गुरूसत्ता की कृपा/ प्रेरणा से ‘अध्यात्म’ में प्रवेश संभव बन पड़ा। भौतिक प्रगति भी बनी रही। श्री लाल बिहारी सिंह @ बाबूजी के सान्निध्य व मार्गदर्शन में ‘पंचकोश साधना’ अनवरत जारी है।

उपलब्धियां – आरोग्य, मेधा/ प्रज्ञा, नियमितता, कर्मठता व भक्ति (लोकसेवा) आदि।

आ॰ आशीष कुमार गुप्ता जी (गोरखपुर, उ॰ प्र॰)

आत्मप्रगति‘ का मार्ग विगत 1 वर्ष से पंचकोश साधना रूप में प्रारंभ हुआ। प्रथम गुरू @ मार्गदर्शक के रूप में आ॰ सुभाष सर के रूप में हुआ। आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में पंचकोश साधना ज़ारी है। प्रज्ञाकुंज सासाराम में आगामी नवरात्रि साधना सत्र में प्रायोगिक कक्षा में सहभागिता की शुभेच्छा है।

उपलब्धियां – तात्विक दृष्टिकोण, मेधा/ प्रज्ञा, उपासना के वास्तविक स्वरूप का बोध, कर्मठता, उमंग, उल्लास आदि।

श्री सत्य पाल जी  (CAG अधिकारी, दिल्ली)

फ़रवरी 2019 में chronic hypertension की वजह से hospitalized हुआ। ब्रेन हेमरेज तक की स्थिति बिगड़ी। Hospitalization के दौरान मैं 9 दिनों तक गायत्री महामंत्र का जप करता रहा। यह hospitalization मेरे जीवन में क्रांतिकारी परिवर्तन का दौर रहा; जिसने अध्यात्म जगत में प्रवेश की राह आसान की।

उपलब्धियां – कर्मठता, नियमितता, आत्मविश्वास, जिज्ञासा, मेधा/ प्रज्ञा आदि।

आ॰ अमित गुप्ता जी सह अर्धांगिनी शिवांगी जी (सिंगापुर)

उपलब्धियां (शिवांगी दीदी) – पंचकोशी क्रियायोग, तात्विक दृष्टिकोण, निष्काम भाव, भक्ति (उपासना, साधना व अराधना)।

उपलब्धियां (अमित भैया) – समय संयम, उत्कृष्ट चिंतन, आदर्श चरित्र व शालीन व्यवहार, अभिन्नता @ अद्वैत @ अखंडानंद।

आचार्य बिरेंद्र प्र॰ यादव जी (अंबेडकर नगर, उ॰ प्र॰)

विगत 24 वर्षों से गायत्री परिवार से जुड़े हैं। विगत 4 महीने से पंचकोश साधना क्रियायोग का अभ्यास जारी है। गायत्री पंचकोश साधना सर्वसाधारण हेतु सर्वथा सर्वोपयोगी उच्चस्तरीय साधना है जिसे सर्वसुलभ बनाने हेतु प्रयत्नशील हैं।

उपलब्धियां – आरोग्य, नियमितता, प्रज्ञा व आत्मीयता आदि।

श्री अश्वनी कुमार जी (योगाचार्य, कुशीनगर, उ॰ प्र॰)

अप्रैल 2017 से गायत्री पंचकोश साधना अनवरत जारी है। उससे पहले ओशो रजनीश जी से जुड़े थे।

उपलब्धियां – आरोग्य, वाणी संयम, अनुशासन, चित्त – वृत्तियां अंतर्मुखी, संतुलित मन, अंतरंग परिष्कृत – बहिरंग सुव्यवस्थित।

आ॰ श्री विरेन्द्र कुमार त्यागी जी (गाजियाबाद, उ॰ प्र॰)

सन् 1993 से गायत्री परिवार व सन् 2017 से पंचकोश साधना से जुड़े हैं।

उपलब्धियां – निरोगी काया, प्राणवान, शांत मन, सकारात्मकता, अखंड आनंद @ अनंतता।

आ॰ मनोज कुमार जी (प्रज्ञाकुंज सासाराम, बिहार)

गायत्री परिवार व बाबूजी से लंबे समय से जुड़े हैं। कर्मयोग जीवन का आधार रहा है। विगत 1 वर्षों से नियमित रूप से पंचकोशी क्रियायोग का अभ्यास जारी है।

उपलब्धियां – कर्मठता, नियमितता, नियंत्रित मन, निष्ठा, प्रज्ञा व श्रद्धा @ निष्काम कर्म @ लोकसेवा @ भक्ति।

जिज्ञासा समाधान (श्री लाल बिहारी सिंह ‘बाबूजी’)

सभी साधकों को नमन व आभार।

पंचकोशी क्रियायोग के अभ्यास में सहजता, सजगता व रूचि का ध्यान रखने से प्रगति सर्वथा हानिरहित होती है।

पंचकोश साधना अर्थात् आत्मा के चेतनात्मक 5 आवरणों @ 5 शरीर को स्वस्थ @ उज्जवल बनाने की साधना ताकि आत्मप्रकाश तक हमारी पहुंच बन पाए और हम जीवन लक्ष्य का वरण कर पावें।

ॐ  शांतिः शांतिः शांतिः।।

Writer: Vishnu Anand

 

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