Panchkosh Sadhna Experience Sharing – 2
PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 19 to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।
SUBJECT: पंचकोश साधना अनुभव – 2
Broadcasting: आ॰ नितिन आहुजा जी
Hosting – आ॰ श्री सुभाष चन्द्र सिंह जी
बिभर्ति पंचावरणान् जीवः कोशास्तु ते मताः । मुखानि पंच गायत्र्यास्तानेव वेद पार्वति ।।१२।। (गायत्री मंजरी) – जीव पंच आवरणों को धारण करता है, वे ही कोश कहलाते हैं। हे पार्वती ! उन्हीं को गायत्री के 5 मुख कहते हैं।
‘तप‘ (practical) से सिद्धियां/ संपदाएं लभ्य होती हैं।
Role model (प्रेरणास्रोत) बनने पर प्रेरणा (motivation) का प्रसार संभव बन पड़ता है।
आ॰ सुशील त्यागी जी (गाजियाबाद, उ॰ प्र॰)
पिता जी से गायत्री साधना की प्रेरणा मिली। आर्य समाज सत्यार्थ प्रकाश की विचारधारा से भी जुड़े। आ॰ श्री लाल बिहारी सिंह @ बाबूजी से जुड़ने के उपरांत यंत्रवत साधना में प्राण (चैतन्यता) आ गई।
उपलब्धियां – ओजस् (स्फूर्ति, उत्साह, उमंग), तेजस, वर्चस्, निर्भयता, आरोग्य, तात्विक दृष्टिकोण, संतुलित आहार व संयमित विहार आदि।
आ॰ किरण चावला जी (USA)
‘आत्मिकी‘ क्रमशः चिंतन, चरित्र व व्यवहार में परिलक्षित हों।
उपलब्धियां – मितव्ययिता, स्वावलंबन, आर्थिक सुदृढ़ीकरण, कर्मयोग, स्वस्थ शरीर – संतुलित मन, दृढ़ता, तात्विकदृष्टिकोण, आत्मीयता व सद्भावना आदि।
आ॰ अरविन्द कुमार सिंह जी (अधिवक्ता, पटना, बिहार)
सन् 2005 में परम पूज्य गुरुदेव वेदमूर्ति तपोनिष्ठ महाप्राज्ञ पंडित श्री राम शर्मा आचार्य जी से जुड़े। सन् 2012 में आ॰ बाबूजी से जुड़े।
उपलब्धियां – ‘उत्कृष्ट चिंतन, आदर्श चरित्र व शालीन व्यवहार’, त्रिगुणात्मक संतुलन, धैर्य, नियमितता, मेधा/ प्रज्ञा व आत्मीयता आदि ।
आ॰ किशोरी बन्दना जी (कर्नाटक, बैंगलोर)
उपलब्धियां – आरोग्य, लोकसेवा (परमार्थ), शिक्षण, प्राणवान, शांत व संतुलित मन, आत्मीयता, सद्भावना, धैर्य, प्रज्ञा, विवेकशीलता व आत्मानंद आदि।
आ॰ डॉक्टर अशोक कुमार जी (बोस्टन, USA)
बाल्यकाल से अध्यात्म को जानने समझने व आत्मसात (जीने) की जिज्ञासा रही। गुरूदेव से जुड़े। बाबूजी के YouTube video classes देखने के उपरांत तलाश पूर्ण हुई व बाबूजी से जुड़े।
उपलब्धियां – नियमित योगाभ्यास, निरोगी काया व निर्मल मन व आत्मीयता आदि।
आ॰ संजय शर्मा जी (Ex-serviceman, दिल्ली)
आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में स्वाध्याय, आत्मशोधन व परमार्थ अनवरत जारी है।
उपलब्धियां – सोऽहमस्मि इति वृत्ति अखंडा, दस शूलों से निवृत्ति व third eye (ज्ञान रूपी नेत्र – विवेकपूर्ण दृष्टिकोण) जागरण आदि।
आ॰ गोकुल मुन्द्रा जी (Businessman, जोधपुर, राजस्थान)
‘आत्मशोधन‘ निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है। उपलब्धियों (ऋद्धि – सिद्धियों) के आकर्षण में आसक्त होने के जगह ‘आत्मसमीक्षा – आत्मसुधार – आत्मनिर्माण – आत्मविकास’ की प्रक्रिया जीवन लक्ष्य तक अनवरत चलती रही।
उपलब्धियां – स्वावलंबन, धैर्य, नियमितता, त्रिगुणात्मक संतुलन, आत्मीयता व सद्भावना आदि।
आ॰ विजय गोयल जी (ज्योतिषाचार्य, जयपुर, राजस्थान)
सन् 1998 में गायत्री मंत्र की दीक्षा ली। सन् 2017 में आ॰ बाबूजी से जुड़े। अक्टूबर 2017 में प्रज्ञाकुंज सासाराम में साधना सत्र में सहभागिता के पश्चात गायत्री साधना @ आत्मसाधना @ पंचकोश साधना के व्यवहारिक स्वरूप को समझने का सौभाग्य प्राप्त हुआ।
उपलब्धियां – नियमितता, स्फूर्ति, आरोग्य, मेधा/ प्रज्ञा, अध्ययनशीलता, तात्विक दृष्टिकोण व शिक्षण आदि।
आ॰ बी के पाण्डेय जी (चिकित्सक, आजमगढ़, उ॰ प्र॰)
सन् 2004 से गायत्री परिवार @ मिशन से जुड़े हुए हैं। आजमगढ़ में बाबूजी के साधनात्मक कार्यक्रम के उपरांत पंचकोश साधना का शुभारंभ हुआ।
उपलब्धियां – साधना (नियमित योगाभ्यास), उपासना, अराधना, आरोग्य व आत्मीयता आदि।
आ॰ विजय कुमार जी (शिक्षक, प्रज्ञाकुंज सासाराम, बिहार)
शरीर रोगग्रस्त होने के बाद सन् 2018 से गायत्री पंचकोश साधना आ॰ बाबूजी के सान्निध्य व मार्गदर्शन में शुरू की।
उपलब्धियां – नियमितता, योगाभ्यास (प्रज्ञायोग, प्रभावी महाप्रभावी आसन, शीर्षासन, प्राणायाम, बंध, मुद्रा, ध्यान), निरोगी काया, संतुलित आहार व संयमित व्यवहार, चिरयौवन, स्फूर्ति, उत्साह, उमंग, प्राणवान, शांत व संतुलित मन, मेधा/ प्रज्ञा, communication skills (अभिव्यक्ति की कला), तात्विक दृष्टिकोण व आत्मीयता आदि।
आ॰ घनश्याम वंगानी जी (Businessman, राजस्थान)
आ॰ शरद निगम भैया जी के माध्यम से जीवन में पंचकोश साधना का जीवन में शुभारंभ हुआ।
उपलब्धियां – Healthy body (आरोग्य), स्फूर्ति, उत्साह, उमंग, संतुलित मन, स्वावलंबन व आत्मीयता आदि।
आ॰ राजेश गुप्ता जी (BSNL Engineer, हल्द्वानी)
गायत्री पंचकोश साधना के उपरांत आत्मसमीक्षा व आत्मसुधार का क्रम चल पड़ा।
उपलब्धियां – आत्मविकास, साक्षी भाव, लोकसेवा व आत्मीयता आदि।
आ॰ यादवेन्द्र सिंह जी (बैंकर, उ॰ प्र॰)
आ॰ सुभाष चन्द्र भैया जी के माध्यम से आ॰ बाबूजी के मार्गदर्शन में गायत्री पंचकोशी साधना की शुरुआत हुई।
उपलब्धियां – आत्मसमीक्षा, आत्मसुधार व पंचकोश अनावरण आदि।
आ॰ रेणु सिंह जी (वाराणसी, उ॰ प्र॰)
‘अध्यात्म‘ को जानने, समझने व व्यवहार में जीने का सौभाग्य इस platform पर प्राप्त हुआ।
उपलब्धियां – नियमित योगाभ्यास, Healthy body, स्फूर्ति, उमंग, उत्साह, समय प्रबंधन, आत्मीयता, समर्पण – विलय – विसर्जन आदि।
जिज्ञासा समाधान (श्री लाल बिहारी सिंह ‘बाबूजी’)
सभी आत्मसाधकों को नमन व आभार। परम पूज्य गुरूदेव अपने बच्चों की प्रगति को देखकर निःसंदेह आह्लादित हो रहे होंगे।
गायत्री पंचकोशी साधना को उच्चस्तरीय कहने का तात्पर्य यह है कि ये सर्वथा सर्वोनुकूल सर्वोपयोगी पंचाग्नि विद्या है। @ ऋषि मुनि यति तपस्वी योगी, आर्त अर्थी चिंतित भोगी। जो जो शरण तुम्हारी आवें, सो सो मन वांछित फल पावें।।
‘Theory & Practical‘ @ ‘गायत्री व सावित्री’ @ ‘तप व योग’ के समन्वय से साधना को समग्रता/ पूर्णता प्रदान की जाती है।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।
Writer: Vishnu Anand
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