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Pragyopnishad-2, Experience Sharing Questions and Answers

Pragyopnishad-2, Experience Sharing Questions and Answers

प्रज्ञोपनिषद् (द्वितीय मण्डल), अनुभव शेयरिंग व प्रश्नोत्तरी

PANCHKOSH SADHNA –  Navratri Online Global Class – 03 April 2022 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह

ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌ ।

SUBJECT:  प्रज्ञोपनिषद् (द्वितीय मण्डल), अनुभव शेयरिंग व प्रश्नोत्तरी

Broadcasting: आ॰ अंकूर जी/ आ॰ अमन जी/ आ॰ नितिन जी

श्रद्धेय श्री लाल बिहारी सिंह @ बाबूजी (सासाराम, बिहार)

नवरात्रि साधना – सभी (ऋषि, मुनि, यति, तपस्वी, योगी, आर्त, अर्थी, चिंतित व भोगी) के लिए लाभप्रद हैं । प्रारूप faculty wise रखा जा सकता है । आवश्यक/ अनिवार्य तत्त्वों में ‘श्रद्धा, प्रज्ञा व निष्ठा’ त्रिवेणी संगम का समावेश हो । अज्ञान, अशक्ति व अभाव – त्रिविध दुःख/ ताप दूर/ शांत हों ।
ह्रीं श्रीं क्लीं मेधा प्रभा जीवन ज्योति प्रचण्ड । शांति कांति जाग्रति प्रगति रचना शक्ति अखण्ड ।।

विवाद‘ का मूल कारण विषयों के प्रति ‘आसक्ति’ है:-
पदार्थ जगत के प्रति आसक्ति – लोभ
संबंधों के प्रति आसक्ति – मोह
मान्यताओं के प्रति आसक्ति – अहंकार

हिमालय में अशरीरी ऋषिगण (सुक्ष्म शरीर में) तपस्यारत हैं । उद्देश्य – सृष्टि में सनातन संस्कृति (आत्मवत् सर्वभूतेषु + वसुधैव कुटुंबकम्) को अक्षुण्ण बनाए रखा जा सके । वहां ऋषियों का confrence होते हैं जिसमें जनसामान्य की उलझनों/ चुनौतियों का समाधान किया जाता है ।

धर्म संप्रदाय मज़हब में आपसी विरोध क्यों ?
जबकि सबका सार्वभौम उद्देश्य to promote/ maintain peace and bliss है ।
महामानव/ देवमानव (उत्कृष्ट चिंतन + आदर्श चरित्र + शालीन व्यवहार @ श्रद्धेय + प्रज्ञावान् + कर्मनिष्ठ  @ संत + सुधारक + शहीद) के अकाल/अभाव को कैसे दूर किया जा सके ?
महामानव एक कल्पवृक्ष जैसे – जिससे जनसामान्य का कायाकल्प किया जा सकता है ।
विश्वविजेता सिकन्दर ने दाण्डायन ऋषि के चरणों में मुकुट रखा (समर्पण) ।
परमपूज्य गुरुदेव ने 80 वर्षों में 800 वर्षों का का कार्य किया ।
महामानव पैदा करने के लिए लोगों को ‘धार्मिक’ बनाया जाए । ‘धर्म’ अनेक नहीं प्रत्युत् एक होता है और वह सभी के लिए समान रूप से लागू होता है । उसके तीन parameters हैं:-
1. चिंतन – उत्कृष्ट
2. चरित्र – आदर्श
3. व्यवहार – शालीन

सार्वभौम धर्म के 10 सूत्र (5 युग्म):-
1. सत्य + विवेक
2. संयम + कर्तव्य-पालन
3. अनुशासन + अनुबंध (व्रत धारण)
4. स्नेह-सौजन्य + पराक्रम
5. सहकार + परमार्थ

सत्यं शिवम् सुंदरम् ‌।” ‘सत्य’ के दो पक्ष:-
1. Absolute truth (शाश्वत सत्य – परिवर्तनशील)
2. Relative truth (सापेक्ष सत्य – परिवर्तनशील)
यथार्थता को ‘सत्य’ कहते हैं । सर्वजन हिताय बहुजन सुखाय हेतु श्रेय भावना  व कर्म को ‘सत्य’ कहते हैं ।
परिवर्तनशील जगत में एक अनंत आनंद व अथाह शांति वाली अपरिवर्तनशील सत्ता विद्यमान है, जिससे सायुज्यता बनने (समर्पण + विलय + विसर्जन) से शाश्वत सत्य का बोधत्व किया जा सकता है ।
सत्य + विवेक” – ‘सत्य‘ को देखने जानने समझने के लिए ‘विवेक‘ दृष्टिकोण की आवश्यकता होती है @ सजल श्रद्धा + प्रखर प्रज्ञा ।

संयम + कर्तव्य-पालन” – संयम (इन्द्रिय + समय + विचार + अर्थ) @ तप से शक्ति मिलती है । उस शक्ति को कर्तव्य-पालन में लगाया जाए ।
सार्वभौम कर्तव्य का युग्म:-
1. स्वयं को जानना (आत्मबोध)
2. धरा को स्वर्ग बनाना (तत्त्वबोध)
श्रम + मनोयोग‘ से कार्य की गुणवत्ता बढ़ती जाती है और सफलता/ सिद्धि की ओर कदम बढ़ते हैं ।

अनुशासन + अनुबंध । अपने लिए कठोरता व अन्यों के प्रति उदारता ।

स्नेह – सौजन्य + पराक्रम :
1. एक हाथ में माला (ज्ञान) – सत्प्रवृत्ति संवर्धनाय ।
2. दुसरे हाथ में भाला (कर्म) – दुष्प्रवृत्ति उन्मूलनाय ।
“ज्ञान + कर्म = भक्ति ‌।”

सहकार + परमार्थ । संगठन, जनमानस के शोषण हेतु नहीं प्रत्युत् परमार्थ हेतु हो ।

अनुभव शेयरिंग

आ॰ सुभाषचन्द्र सिंह जी (IES, गाजियाबाद, उ॰ प्र॰)

धर्म‘ वह है जो सृष्टि संचालन में सुव्यवस्था कायम कर सके ‌। हम सुव्यवस्था/ सदुपयोग के माध्यम हैं – धार्मिक/ आस्थावान ।

आ॰ राजेश गुप्ता जी (BSNL Engineer, Gorakhpur, UP)

उपलब्धियां: सात्विक आहार विहार, ज्ञानार्जन, healthy body and mind, positivity, साक्षी भाव, दैनंदिन जीवन में ‘उपासना, साधना व अराधना’ का समावेश, परिवारजनों में अध्यात्मिक प्रगति, good office management, सहकर्मियों में आत्मीयता पूर्ण अध्यात्मिकता का समावेश etc.

आ॰ डॉ॰ कृष्णा चौधरी जी (योगाचार्य, लेक्चरर युग संस्कृति विश्वविद्यालय)

उपलब्धियां: भ्रमनाश, ज्ञान में अभिवृद्धि इन्द्रिय संयम, आत्मनियंत्रण, अनासक्त प्रेम etc.

आ॰ बिरेंद्र प्रताप सिंह जी (बैंकर, लखनऊ, उ॰ प्र॰)

उपलब्धियां: आत्मसमीक्षा, आत्मसुधार, आत्मनिर्माण – आत्मप्रगति की ओर अग्रसर, ऊर्जावान, क्रियावान, संयमित जीवनशैली, आत्मीयतापूर्ण व्यवहार, सहयोग व अध्यात्म में रूचि etc.

आ॰ रिंकी कुमारी जी (पटना, बिहार)

उपलब्धियां: आत्मसुधार, learning skills developed, परिष्कृत दृष्टिकोण etc.

आ॰ किरण चावला जी (Businessman, पंचकोश प्रशिक्षक, लोकसेवी, ओहायो, USA)

उपलब्धियां: गायत्री पंचकोशी रिसर्च स्कॉलर परिवार, विचार क्रांति से समाज की सेवा, प्रज्ञोपनिषद् व प्रज्ञा पुराण पर शोध व साक्षी सहज भाव etc.

आ॰ वीणु दीदी जी (Yoga Teacher, Georgia, USA)

उपलब्धियां: योग का प्रचार प्रसार, गुरू कार्य संपादन, सद्भावना, सहृदयता, आत्मीयता विस्तार, धैर्य, आत्मनियंत्रण, नीर क्षीर विवेक व पंचकोशी क्रियायोग  etc.

आ॰ डॉ अशोक कुमार जी (IT Professional, Boston,  USA)

उपलब्धियां: पंचकोश सोसायटी रजिस्ट्रेशन in Boston, Regular classes being conducted व परिष्कृत पंचकोश etc.)

आ॰ सुशील त्यागी जी (सेवानिवृत्त मैनेजमेंट प्रोफ़ेशनल, गाजियाबाद, उ॰ प्र॰)

उपलब्धियां: परिष्कृत दृष्टिकोण, आरोग्य, बेबाकपन etc.

आ॰ संजय सिंह जी (Engineer, सपरिवार साधना रत प्रज्ञाकुंज सासाराम – चैत्र नवरात्रि साधना सत्र)

उपलब्धियां: विवेक दृष्टिकोण व आत्मसाधना में प्रगति etc.

ॐ  शांतिः शांतिः शांतिः।।

Writer: Vishnu Anand

 

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