Pranmaykosh – Pranayama
PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 25 June 2022 (5:00 am to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
SUBJECT: प्राणमयकोश का परिचय एवं प्राणमयकोश जागरण हेतु विविध प्राणायाम
Broadcasting: आ॰ अमन जी/ आ॰ अंकुर जी/ आ॰ नितिन जी
शिक्षक बैंच: आ॰ विष्णु आनन्द जी (Ex-serviceman, कटिहार, बिहार)
जिज्ञासा समाधान (श्री लाल बिहारी सिंह ‘बाबूजी’)
सोऽहं जाप के रूप में हर एक जीवधारी प्राणायाम करते हैं । गायत्री वा इदं सर्वं । संसार में हर जगह प्राण है । समष्टि प्राण की सर्वव्यापकता को समझें । व्यष्टि प्राण का समष्टि प्राण में ‘योग’ = प्राणायाम ।
प्राणवान व्यक्तित्व जिस क्षेत्र में बढ़ेंगे । वो क्षेत्र उन्नतिशील होता जाएगा । आज भौतिक क्षेत्र समृद्धि का मूल कारण प्राणवान व्यक्तित्व का इस क्षेत्र में कार्यरत होना है ।
प्राण शक्ति – विद्या, चतुराई, अनुभव, दूरदर्शिता, साहस, लगन, शौर्य, जीवनी शक्ति, ओज, पुष्टि, पराक्रम, पुरूषार्थ, महानता आदि आंतरिक शक्ति ।
प्राण शक्ति की 3 धारा/ भूमिका:-
1. सत्व प्रधान
2. रज प्रधान
3. तम प्रधान
सामान्यतः इन तीन भागों में व्यक्ति का व्यक्तित्व परिलक्षित होता है । आत्मसाधक/ योगी जनः में इन तीनों की साम्यावस्था/ संतुलन होती है ।
सकारात्मक दृष्टिकोण भी उच्च स्तरीय प्राणायाम है । श्रद्धा, प्रज्ञा व निष्ठा संग कर्तव्य का निष्पादन उच्चस्तरीय प्राणायाम है ।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ।।
Writer: Vishnu Anand
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