Pragyakunj, Sasaram, BR-821113, India
panchkosh.yoga[At]gmail.com

Sankhya Darshan (सांख्य दर्शन) – 1

Sankhya Darshan (सांख्य दर्शन) – 1

🌕 PANCHKOSH SADHNA ~ Online Global Class – 26 Jul 2020 (5:00 am to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram – प्रशिक्षक Shri Lal Bihari Singh @ बाबूजी

🙏ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌|

📽 Please refer to the video uploaded on youtube. https://youtu.be/qG-S1ZGJqXA

📔 sᴜʙᴊᴇᴄᴛ. सांख्य दर्शन – 1

📡 Broadcasting. आ॰ अमन कुमार/आ॰ अंकुर सक्सेना जी

🌞 आ॰ श्री चन्दन प्रियदर्शी जी .

भारतीय दर्शन के छः प्रकारों में से सांख्य दर्शन भी एक है। इसकी स्थापना करने वाले मूल व्यक्ति महर्षि कपिल (भगवान विष्णु के पंचम अवतार) कहे जाते हैं।

🌸 सांख्य दर्शन में मुलतः 25 तत्त्वों का विवेचन किया गया है। इसका मुख्य पक्ष 25 तत्त्वों की मीमांसा है। इसकी व्याख्या मुख्यतः सुक्ष्म से स्थूल की ओर है।
👉 पुरुष (आत्मा)
👉 मूल प्रकृति
👉 महत् तत्व (बुद्धि)
👉 अहंकार
👉 इन्द्रियां (11) : 5 ज्ञानेन्द्रियाँ + 5 कर्मेन्द्रियाँ और इनका संचालक मन
👉 5 तन्मात्रायें
👉 5 महाभूत

🌸 प्रमाण ३ प्रकार के होते हैं : १. प्रत्यक्ष, २. अनुमान व ३. आप्त्वचन |

🌸 तीन प्रकार के दुःखों से मुक्ति को अंतिम पुरूषार्थ (मोक्ष) कहा गया है:
१. आध्यात्मिक
२. आधिदैविक
३. आधिभौतिक

🌸 महत्त्वपूर्ण सुत्रों पर भैया ने प्रकाश डाला है।

🌸 आत्मा – बंधन रहित है। जीवात्मा के बारंबार शरीर धारण व त्याग @ जन्म – मरण के चक्र को समझने हेतु गुरूदेव की पुस्तक गहणाकर्मणोगति अध्ययन किया जा सकता है।

🌞 Shri Lal Bihari Singh.

🙏 आ॰ चन्दन जी को आभार। वैदिक दर्शन पर इनका शोध कार्य प्रेरक व उत्तम है। वेदारण्यम् में इन्होंने वैदिक दर्शन पर व्यापक साहित्य का संकलन (इनसाइक्लोपीडिया) रखा है।

🙏 दर्शन @ angle of vision मानव जीवन का अनिवार्य तत्व है।

🙏 प्रथम अध्याय में हमें बताया गया की हम परिवर्तनशील सत्ता से ना चिपके (आसक्ति) जो त्रिविध दुःखों के कारण हैं वरन् अनासक्त भाव से क्रिया करते हुए अंतिम पुरुषार्थ @ उस अपरिवर्तनशील सत्ता से एकात्म करें @ त्रिविध दुःखों से निवृत्ति @ अखंडानंद @ मोक्ष

🙏 द्वितीय अध्याय में सृष्टि के निर्माण की प्रक्रिया समझायी गयी हैं।
💡 सांख्य दर्शन कतई अनिश्वरवादी नहीं। श्रीमद्भगवद्गीता में गीताकार कहते हैं:-
अश्वत्थः सर्ववृक्षाणां देवर्षीणां च नारदः। गन्धर्वाणां चित्ररथः सिद्धानां कपिलो मुनिः।।10.26।।
अर्थात् सम्पूर्ण वृक्षों में पीपल, देव ऋर्षियों में नारद, गन्धर्वों में चित्ररथ और सिद्धों में कपिल मुनि मैं हूँ

🙏 सृष्टि निर्माण का क्रमशः २५ तत्त्व:-
👉 आत्मा (पुरुष) @ ना प्रकृति ना विकृति
👉 मूल प्रकृति @ अविकृति अर्थात् किसी से उत्पन्न नहीं होता।
👉 महत् तत्व (बुद्धि)
👉 अहंकार
👉 मन
👉 पंच ज्ञानेन्द्रियाँ (नाक, जीभ, आंख, त्वचा व कान)
👉 पंच कर्मेन्द्रियाँ (मुख, हाथ, पांव, गुदा व जननेन्द्रिय)
👉 पंच तन्मात्रायें (गन्ध, रस, रूप, स्पर्श‌ व शब्द)
👉 पंच महाभूत (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु व आकाश)

🙏 रागों के बीच रहकर जो ना चिपके उन्हें वैरागी कहते हैं। क्रियाविहीन नहीं वरन् अनासक्त कर्मयोगी बनें @ तेन त्यक्तेन भुंजीथाः।

🙏 अभ्यास और वैराग्य द्वारा हम मन को नियंत्रित कर अनासक्त भाव को सिद्ध कर सकते हैं।

🙏 तृतीय अध्याय में ईश्वर सिद्धि के बारे में बताया गया है। प्रकृति की सत्ता को मूलतः मानते हुए ईश्वर को सर्वव्यापी सर्वसमर्थ परमसत्ता के रूप में अंगीकार किया है।
💡 सभी तर्क एक दूसरे के पूरक हैं; ये सुलझाने के माध्यम हैं ना की उलझने के।

🙏 ज्ञानेन मुक्ति – ज्ञान से मुक्ति अर्थात् तीनों दुःखों से निवृत्ति होती है।

🙏 ईश्वरीय अनुशासन में ~ ईश्वर के सहचर बन ~ ईश्वर के पसारे इस संसार में ~ कर्तव्यरत् रहें।

🌞 Q & A with Shri Lal Bihari Singh

🙏 मान्यताएं बंधन का कारण बनती हैं; रूपांतरण से मोक्ष की स्थिति आती है।
ब्रह्मण्याधाय कर्माणि स त्यक्तवा करोति यः। लिप्यते न स पापेन पद्मपत्रमिवाम्भसा।। अर्थात् ईश्वर को समर्पित होकर कर्म करें तो कर्म कभी भी बंधन का कारण नहीं बनती।

🙏 कर्म नहीं बांधते हैं – अज्ञानता, आसक्ति बांधती है। @ योगस्थः कुरू कर्मणि @ समत्वं योग उच्यते

🙏 सन्यास धर्म को कर्तव्य च्यूत होने के रूप में ना लें वरन् लोक अराधना के परिपक्वता के रूप में लें जो सभी परिजनों हेतु सभी जगह सभी स्थितियों में लभ्य है।

🙏 ईश्वर के सभी नामों (संज्ञा) की परिकल्पना अथवा उनके छवि का निर्धारण उनके गुण विशेषताओं @ शक्ति धाराओं के आधार पर किया गया है। साधक अपनी सहजता से इष्ट के छवि का निर्धारण कर उनके गुणों को आत्मसात कर एकरूपता बनाते हैं।

🐵 श्री विष्णु आनन्द. सांख्य दर्शन में ~ ४ सात्त्विक भाव (१. धर्म, २. ज्ञान, ३. वैराग्य व ४. ऐश्वर्य) एवं ४ तामसिक भाव (१. अधर्म, २. अज्ञान, ४. अवैराग्य व ५. अनैश्वर्य।) चुनाव का अधिकार हमारा है:-
१. धर्म से उत्थान तो अधर्म से पतन।
२. ज्ञान से मोक्ष तो अज्ञान से बंधन।
३. वैराग्य से प्रकृति का विलय तो अवैराग्य @ आसक्ति से जन्म-मरण का चक्रव्यूह
४. ऐश्वर्य से स्वावलंबी तो अनैश्वर्य से परावलंबी।

🙏 ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।

🙏Writer: Vishnu Anand 🕉

 

Comments: 1

  1. Vishnu Anand says:

    ✍ रसोई से लेकर सांसद तक @ जूते सिलाई से चण्डी पाठ तक – की गतिविधियों में ज्ञान (knowledge) की आवश्यकता होती है और ज्ञान के उभयपक्ष “जानकारी + प्रयोग” मानव की कार्य-कुशलता का निर्धारण करते हैं।
    💡 सदुपयोग या दुरूपयोग – चेतनात्मक उन्नयन पर निर्भर करता है।
    👉 बिजली (electricity) के काम का ज्ञान हो तो घर में उजाला अन्यथा अंधकार। सजगता @ alertness @ ध्यान – part of knowledge की भूमिका भी अहम अन्यथा current 😰
    💡 ज्ञान के अभाव में हम परावलंबी भी हो जाते हैं और परावलंबन @ हजार बिच्छू के डंक के बराबर @ अक्सर सुनने को मिलता है काम का ना काज का दुश्मन अनाज का …
    🙏 विश्व स्तरीय भौतिकविद् स्टीफन हॉकिंग जी जीवन के अंतिम वर्षों में पैरालाइज्ड थे उनके होंठ मात्र कंपन करते थे और जीवन के अंतिम क्षणों तक उनके शोध-पत्र विश्व वसुंधरा को प्राप्त होता रहा।
    🌞 ब्रह्मज्ञानी अष्टावक्र जी का राजा जनक के दरबार में कहा गया कथन “सा विद्या या विमुक्तये” अद्भुत प्रेरणा का संचार करती है 🙏🕉

Add your comment