PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 19 June 2021 (5:00 am to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्| Please refer to the video uploaded on youtube. sᴜʙᴊᴇᴄᴛ: प्राण संवर्द्धन हेतु बन्ध एवं मुद्रा विज्ञान Broadcasting: आ॰ अमन जी …
🌞 27/04/2019_प्रज्ञाकुंज सासाराम_ Experience Sharing by Participants _ प्रशिक्षक बाबूजी “श्री लाल बिहारी सिंह” एवं आल ग्लोबल पार्टिसिपेंट्स। 🙏 🌞 ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो नः प्रचोदयात् 🌞 🙏 वीडियो अवश्य रेफर करें। 🙏 🌞 आदरणीय योगाचार्य सुरेन्द्र भैया द्वारा प्रज्ञायोग व्यायाम का परफेक्ट डेमोन्सट्रेशन। 🌞 आदरणीय योगा ट्रेनर लोकेश भैया ने …
🌎24/02/2019_रविवारप्रज्ञाकुंज सासारामपंचकोशी साधना प्रशिक्षक बाबूजी “श्री लाल बिहारी सिंह” एवं आल ग्लोबल पार्टिसिपेंट्स। 🌞 ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो नः प्रचोदयात् 🌞 🌞 प्राण 🙏 🙏 वीडियो अवश्य रेफर करें 🙏 🌞 बाबूजी:- 🌻 हमारा हर कार्य यज्ञमय हो। सृष्टि का हर एक कार्य यज्ञीय विज्ञान के अनुरूप कार्य करता है।🌻 पंचकोशी …
मुद्रा – विज्ञान मुद्राओं से ध्यान में तथा चित्त को एकाग्र करने में बहुत सहायता मिलती है। इनका प्रभाव शरीर की आंतरिक ग्रन्थियों पर पड़ता है। इन मुद्राओं के माध्यम से शरीर के अवयवों तथा उनकी क्रियाओं को प्रभावित, नियन्त्रित किया जा सकता है। विभिन्न प्रकार के साधना के उपचार क्रमों में इन्हें विशिष्ट आसन, बंध …
तीन बन्ध दस प्राणों को सुसुप्त दशा से उठाकर जागृत करने, उसमें उत्पन्न हुई कुप्रवृत्तियों का निवारण करने, प्राण शक्ति पर परिपूर्ण अधिकार एवं आत्मिक जीवन को सुसम्पन्न बनाने के लिए प्राण-विद्या’ का जानना आवश्यक है। जो इस विद्या को जानता है, उसको प्राण सम्बन्धी न्यूनता एवं विकृति के कारण उत्पन्न होने वाली कठिनाइयाँ दुःख …
(1) प्रातःकाल नित्यकर्म से निवृत्त होकर पूर्वाभिमुख, पालथी मार कर आसन पर बैठिए । दोनों हाथों को घुटनों पर रखिए। मेरुदण्ड, सीधा रखिए। नेत्र बन्द कर लीजिए। ध्यान कीजिए कि अखिल आकाश में तेज और शक्ति से ओत-प्रोत प्राण-तत्त्व व्याप्त हो रहा हैं। गरम भाप के, सूर्य प्रकाश में चमकते हुए, बादलों जैसी शकल के …
प्राणाकर्षण की सुगम क्रियाएँ – 1 प्रातःकाल नित्य कर्म से निवृत्त होकर साधना के लिए किसी शांतिदायक स्थान पर आसन बिछाकर बैठिये, दोनों हाथो को घुटनो पर रखिये, मेरुदंड सीधा रहे, नेत्र बंद कर लीजिये। फेफड़ों में भरी हुई हवा बाहर निकाल दीजिये, अब धीरे धीरे नासिका द्वारा साँस लेना आरम्भ कीजिये। जीतनी अधिक …