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Panchkosh Yoga: A practical tool for "Self Awakening"

Curiosity Solution – 04 Jan 2024

मुक्तिकोपनिषद् (दुर्लभ) में … तुम निरन्तर मेरे स्वरूप का चिंतन करते हुए भजन करो क्योंकि एक मात्र मेरा स्वरूप ही शब्द, रूप, रस, गंध, स्पर्श आदि से रहित है, कभी विकार ग्रस्त नही होता … उसका ना कोई नाम है, ना गोत्र है का क्या अर्थ है?उत्तर: यहाँ स्वरूप का अर्थ  -> मैं शरीर नही आत्मा …

Curiosity Solution – 03 Jan 2024

मुक्तिकोपनिषद् (दुर्लभ) में …  सदयुक्ति के द्वारा आत्मा का ध्यान चिंतन करने के सिवाय मन को अपने वश में करने का अन्य कोई उपाय नहीं है का क्या अर्थ है? पंचबह्मोपनिषद् में शाकल्य ने पिपलाद से पूछा कि सर्वप्रथम किसकी उत्पत्ति हुई तो उन्होने बताया कि पहले सद्योजात, अघोर, वामदेव, तत्त्वपुरुष तथा ईशान की उत्पत्ति को …

Curiosity Solution – 02 Jan 2024

मुक्तिकोपनिषद् (दुर्लभ) में … मन ही सकंल्पमय है, संकल्प का मनन करके इस मनस तत्व को शुष्क कर डालो, जिससे कि यह संसार रूपी बाधक भी रसहीन होकर शुष्क हो जाए, अपने मन के निग्रह करने का एक ही उपाय है कि यह निश्चित करना कि मन का अभ्युदय ही उसका पतन है, का क्या अर्थ …

Curiosity Solution – 01 Jan 2024

मुक्तिकोपनिषद् (दुर्लभ) में … शुभ वासनाओं में ही मन लगाना चाहिए क्योंकि श्रेष्ठ वासनाओं की वृद्धि से दोष उत्पन्न नही होते का क्या अर्थ है?उत्तर: हर छन्दो, शब्दों में गणेश और सरस्वती है इसलिए शब्दों का दुरुपयोग न करे, शब्दों का सात्विक रूप भी होता है, प्राण भी होता हैवासना (हृदय में जो वास करता है) …

Panchkosh Meditation and Curiosity Solution

PANCHKOSH SADHNA –  Navratri Sadhna Special Online Global Class – 15 Oct 2021 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌। SUBJECT:  पंचकोश जागरण ध्यान & प्रश्नोत्तरी Broadcasting: आ॰ अंकूर जी/ आ॰ अमन जी/ आ॰ नितिन जी श्रद्धेय …