Pragyakunj, Sasaram, BR-821113, India
panchkosh.yoga[At]gmail.com

Tanmatra Sadhana

Tanmatra Sadhana

Youtube link

PANCHKOSH SADHNA – Online Global Class – 7 जनवरी 2023 (5:00 am to 06:30 am) –  Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह

ॐ भूर्भुवः स्‍वः तत्‍सवितुर्वरेण्‍यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्‌ ।

To Join Panchkosh sadhna Program, please visithttps://icdesworld.org/

Broadcasting: आ॰ अमन जी/ आ॰ अंकुर जी/ आ॰ नितिन जी

शिक्षक बैंच: विष्णु आनन्द (Sonaili,  Katihar,  Bihar)

विषय: तन्मात्रा साधना

(आत्मा के आवरण) पंचकोशों में तीसरा (गायत्री का तृतीय मुख) – मनोमयकोश । कल्पनाशील ‘मन’ का प्रधान कार्य – सुख की आकांक्षा ।
प्रचण्ड प्रेरक शक्ति का स्वामी – मन
मन एव मनुष्याणां कारणं बन्धमोक्षयोः
शांत व प्रसन्न  वशवर्ती/ नियंत्रित/ संयमित/ संतुलित मनमित्र @ अमृत @ मोक्षदायिनी …
विषयासक्त अनियंत्रित मन – शत्रु @ हलाहल विष @ बन्धनकारी ।
मन का वश में होने का अर्थात उसका बुद्धि/ विवेक/ प्रज्ञा के नियंत्रण में होना ।
भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को 2 उपाय मन को वश में करने के बताये:-
1. अभ्यास – वे योग साधनाएं जो मन में एकाग्रता व तन्मयता लाती हैं @ मनोलय योग:-
(क) जप
(ख) ध्यान
(ग) त्राटक
(घ) तन्मात्रा साधना
2. वैराग्य – व्यवहारिक जीवन को संयमशील व सुव्यवस्थित बनाना @ इन्द्रिय संयम + विचार संयम + समय संयम + अर्थ संयम ।

भगवान :-
1. भ – भूमि/ पृथ्वी
2. ग – गगन/ आकाश
3. व – वायु
4. अ – अग्नि
5. न – नीर (जल)

पंच तत्त्वों के द्वारा इस समस्त सृष्टि का निर्माण हुआ है । इन पंच तत्त्वों की मात्रा में अंतर होने के कारण विविध गुण धर्म की वस्तुएं बन जाती हैं ।
5 तत्त्वों की सूक्ष्म शक्तियों की इन्द्रियजन्य अनुभूतियों को ‘तन्मात्रा’ कहते हैं
1. पृथ्वीगंध (केन्द्र – मूलाधार चक्र, ज्ञानेन्द्रिय – नासिका/ nose, कर्मेन्द्रिय – गुदा/ anus) ~ आसन, उपवास,  तत्त्वशुद्धि, तपश्चर्या, प्राणायाम
2. जलरस (केन्द्र – स्वाधिष्ठान चक्र,  ज्ञानेन्द्रिय – रसना/ tongue, कर्मेन्द्रिय – लिंग) ~ खेचरी मुद्रा + जपयोग
3. अग्निरूप/ दृश्य (केन्द्र – मणिपुर चक्र,  ज्ञानेन्द्रिय – चक्षु/ eyes, कर्मेन्द्रिय – चरण/ feet) ~ ध्यान/ त्राटक/ निदिध्यासन/ तदनुरूप @ बिन्दु साधना
4. वायुस्पर्श (केन्द्र – अनाहत चक्र, ज्ञानेन्द्रिय – त्वचा, कर्मेन्द्रिय – हाथ/ hand) ~ तितीक्षा + कामकला (अध्यात्मिक काम विज्ञान)
5. आकाशशब्द (केन्द्र – विशुद्धि चक्र, ज्ञानेन्द्रिय – कर्ण/ ear, कर्मेन्द्रिय – वाक्/ speech) ~ नाद साधना
पंच तन्मात्राएं ही शरीर और संसार के संबंध को जोड़े रखती है ।
इन्द्रियों तथा तन्मात्राओं के मिश्रण से जो खुजली (विषयासक्ति) उत्पन्न होती है उसे ही खुजाने के लिए मनुष्य के विविध विचार व कार्य होते हैं ।
मन को वश करने में एवं एकाग्र करने में सबसे बड़ी बाधा यह खुजली (विषयासक्ति) है जो दुसरी ओर चित्त को जाने नहीं देती है ।
मन का विषय ही रसानुभूति है । हम इसे विषयासक्ति से हटाकर साधनात्मक रसानुभूति
उपासना/ approached + साधना/ digested + अराधना/ realised
ज्ञान/ theory + कर्म/ practical + भक्ति/ application
उत्कृष्ट चिंतन + आदर्श चरित्र + शालीन व्यवहार
आत्मबोध + तत्त्वबोध = परमात्म बोध
…… में निरत कर देवें; यही तन्मात्रा साधना का उद्देश्य है

जिज्ञासा समाधान (आ॰ शिक्षक बैंच व श्री लाल बिहारी सिंह ‘बाबूजी’)

आत्मीयता को आत्मसात करना तन्मात्रा साधना है ।

ॐ  शांतिः शांतिः शांतिः ।।

सार-संक्षेपक: विष्णु आनन्द

 

No Comments

Add your comment