Tantra Sadhana Me Udar Bhawna
Aatmanusandhan – Online Global Class – 20 नवंबर 2022 (5:00 am to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
विषय: तन्त्र साधना में उदार भावना
Broadcasting: आ॰ अंकूर जी/ आ॰ अमन जी/ आ॰ नितिन जी
शिक्षक: श्रद्धेय श्री लाल बिहारी सिंह @ बाबूजी (प्रज्ञाकुंज, सासाराम, बिहार)
आत्मानुसंधान में तन्त्र साधना के ज्ञान विज्ञान को आत्मसात करना धरा पर स्वर्ग के अवतरण @ तत्त्वबोध (प्रसवन + प्रतिप्रसवन) हेतु आवश्यक है ।
यन्मण्डलं गुढ़मति प्रबोधं धर्मस्य वृद्धिं कुरुते जनानाम् । यत्सर्व पाप क्षयकारणं च पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥
ॐ स्तुता मया वरदा वेदमाता प्र चोदयन्तां पावमानी द्विजानाम् ।
आयुः प्राणं प्रजां पशुं कीर्तिं द्रविणं ब्रह्मवर्चसम् । मह्यं दत्तवा व्रजत ब्रह्मलोकम् ।।
पंचभूतात्मक (पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु व आकाश) शरीर (पंचकोश) का आहार पंच तत्त्व हैं जिन्हें भिन्न भिन्न माध्यम से शरीर ग्रहण करती हैं । पंच तन्मात्राएं (शब्द, रूप, रस, गंध व स्पर्श) पोषण का माध्यम बनती हैं ।
ज्ञान (आत्मबोध) – विज्ञान (तत्त्वबोध) जीव सत्ता का मौलिक/ जन्मजात अधिकार है जिसे वर्णाश्रम अथवा लिंगभेद में नहीं बांधा जा सकता है ।
वेदमूर्ति तपोनिष्ठ महाप्राज्ञ पं॰ श्रीराम शर्मा आचार्य जी (परमपूज्य गुरुदेव) ने तंत्र विज्ञान को पवित्रतम व लिंगभेद, वर्णभेद (कर्मभेद) आश्रम-भेद रहित (वेद मंत्र संदर्भ संग) समझाया है ।
(ईश्वरीय पसारा) संसार (परमात्मा का साकार स्वरूप) में (ईश्वर प्रदत्त) संसाधन पर सबका समान अधिकार है । संविधान ~ जो जैसा बोयेगा – वैसा काटेगा ।
(श्रुति) “सा प्रथमा संस्कृति विश्ववारा”। “संस्कृति” अर्थात् जीवन जीने की पद्धति/ कला @ जीवन के देवता को आओ मिलकर सँवारें ।
(विषयों) से आसक्ति, भेदत्व का कारण बनती हैं । (मनोमयकोश की) तन्मात्रा साधना सायुज्यता हेतु प्रभावी साधन है ।
भेदभाव रहित @ समता/ सायुज्यता हेतु विज्ञानमयकोश अंतर्गत ग्रन्थि बेधन की साधना रखी गई है ।
मनुष्यजन्म से शुद्र और व्यक्तित्व (गुण + कर्म + स्वभाव) से ब्राह्मण (श्रद्धावान + प्रज्ञावान् + निष्ठावान @ चिंतन – उत्कृष्ट + चरित्र – आदर्श + व्यवहार – शालीन @ ओजस्वी + तेजस्वी + वर्चस्वी) ।
(अथातो ब्रह्म) जिज्ञासा @ अभीप्सा प्रथम पात्रता है ज्ञान विज्ञान का धारक बनने हेतु ।
“भावोहिविद्यते देव तस्मात् भावो हि कारणम्।” अन्तःकरण की जिस उत्कृष्टता को श्रद्धा के नाम से जाना जाता है, उसका व्यावहारिक स्वरूप है भक्ति ।
जिज्ञासा समाधान
ब्रह्म सुत्र/ सुक्त – ब्रह्म सायुज्यता हेतु सुत्र/ मंत्र/ सलाह ।
IQ (intelligent quotient) – समझदारी । EQ (Emotional quotient) – ईमानदारी ।
SQ (Spritual Quotient) = IQ + EQ ।
संसार में ज्ञान – सुख (मुक्ति) का कारण/ माध्यम व अज्ञान – दुःख (बन्धन) का कारण ।
सर्द ऋतु में कफ निषारक आहार को प्राथमिकता व पौष्टिक कफ वर्धक आहार से बचना चाहिए । यह ऋतु स्वास्थ्य संवर्धन के अनुकूल होता है । योग व्यायाम हेतु अनुकूल है । अध्ययन में भी रूचि बनती है ।
स्व अनुकूलता का ध्यान रखा जाए ।
बवासीर रोग से निदान में सात्विक सुपाच्य आहार, आंवला व ओल का चोखा/ चटनी, शीर्षासन, सर्वांगासन आदि प्रभावी हैं ।
ग्रह (दैवीय गुण/ शक्ति) के अनुकूल को सुविधाजनक एवं प्रतिकूल को संघर्ष/ परीक्षा/ challenge रूपेण accept किया जा सकता है । बहादुर अपनी राह स्वयं बनाते हैं @ ईश्वर उसी की मदद करता है जो अपनी मदद आप करते हैं ।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः ।।
सार-संक्षेपक: विष्णु आनन्द
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