The Ocean of Consciousness Imprisoned in the Box of the Six Chakras
Aatmanusandhan – Online Global Class – 1 जनवरी 2023 (5:00 am to 06:30 am) – Pragyakunj Sasaram _ प्रशिक्षक श्री लाल बिहारी सिंह
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।
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Broadcasting: आ॰ अंकूर जी/ आ॰ अमन जी/ आ॰ नितिन जी
शिक्षक: श्रद्धेय श्री लाल बिहारी सिंह @ बाबूजी (प्रज्ञाकुंज, सासाराम, बिहार)
विषय: षट् चक्रों की पिटारी में कैद चेतना का महासागर
विवेक युक्त ऊर्जा (ज्ञान + ऊर्जा @ शिव + शक्ति @ अर्द्धनारीश्वर @ quanta) से संपूर्ण सृष्टि चल रही है ।
अक्खड़पन (mean mindset) @ ग्रन्थि @ गाँठ, साधक की प्रगति में बाधक हैं । संघर्ष (struggle/ challenges/ problems), अपने अंदर की प्रसुप्त शक्ति केंद्र के जागरण में महती भूमिका निभाते हैं @ वह पथ क्या, पथिक कुशलता क्या – यदि राह पर बिखरे शूल ना हों । नाविक की धैर्य कुशलता क्या – यदि धाराएं प्रतिकूल ना हों ।।
विषयासक्ति (लोभ/ मोह/ अहंकार) से सूक्ष्म (अणु में विभु) बनकर निकल जाएं (आत्मीय/ निःस्वार्थ प्रेम/ अनासक्त/ निष्काम) ।
Negative thoughts (अचिन्त्य चिंतन – काम क्रोध मद लोभ दंभ दुर्भाव द्वेष) सर्वप्रथम स्वयं का ही घात करती हैं । अतः इसके समाधान positivity develop (शुद्ध बुद्ध निष्पाप हृदय मन को पवित्र) कीजिए ।
Scientific spritual interpretation (PPT) :-
मूलाधार चक्र is located between anus and genitals. काक्सीजियल region ….. 4 पंखुरियों वाला कमल व 4 वृत्तियां – परमानन्द, सहजानन्द, योगानन्द व वीरानन्द । बीज मंत्र – ‘लं‘, तत्त्व – पृथ्वी, तन्मात्रा – गंध ।
स्वाधिष्ठान चक्र is located at hypogestrium, four fingers above the मूलाधार चक्र । सिम्पैथैटिक गैंगलियान व सुषुम्ना नाड़ी गुच्छकों से मिलकर बना है । adrenal gland is associated with this, related to the adrenaline hormone. उत्सर्जन विसर्जन इसका मूल कार्य है । इसके जागरण से
– stress management easy होता है।
– बलिष्ठता (strength) व स्फूर्ति (activeness) बढ़ती है ।
– laziness, carelessness, disobedience, disbelief आदि दुर्गुण मिटते हैं l
6 पंखुरियों वाला कमल, बीज मंत्र – वं, तत्त्व – जल, तन्मात्रा – रस ।
रूद्र ग्रन्थि – मूलाधार व स्वाधिष्ठान चक्र का मिलन बिन्दु ।
मणिपुर चक्र is located in the lumbar region of the spinal cord in line with the navel. Solar plexus… Pancreas gland is associated with this. इसके जागरण से
– संकल्प बल व पराक्रम बढ़ता है ।
– मनोविकार घटते हैं एवं परमार्थ कार्यों में रूचि बढ़ती है ।
– तीन अग्नियों का जागरण व उर्ध्वगमन में सहायक ।
10 पंखुरियों वाला कमल, बीज मंत्र – रं, तत्त्व – अग्नि, तन्मात्रा – रूप (दृश्य) ।
अनाहत चक्र (भाव संस्थान) – located at the back of the heart at the site of the cardiac plexus. Thymus gland is associated with this. Pacemaker का ऊर्जास्रोत यही है । प्राण धारण एवं उसका सुनियोजन इसका मूल कार्य है । इसके जागरण से
– सहकारिता, परमार्थ परायणता, वसुधैव कुटुम्बकम के भाव आत्मसात होते हैं ।
12 पंखुरियों वाला कमल, बीज मंत्र – यं, तत्त्व – वायु, तन्मात्रा – स्पर्श ।
विष्णु ग्रन्थि – मणिपुर व अनाहत चक्र का मिलन बिन्दु ।
विशुद्धि चक्र – located in the throat. Thyroid gland and Pharyngeal and Laryngeal plexus located behind it are associated with this. इसके जागरण से
– अतीद्रिंय क्षमता का जागरण ।
– सीधे अचेतन मन व चित्त संस्थान को प्रभावित कर मस्तिष्क के दायीं silent area को जगाता है ।
16 पंखुरियों वाला कमल, बीज मंत्र – हं, तत्त्व – आकाश, तन्मात्रा – शब्द ।
आज्ञा चक्र – द्विदलीय made with Pituitary and Pineal glands. भ्रुमध्य (mid brow) के सीध में यह दोनों ग्रन्थियां हैं जो पुरे शरीर की गतिविधियों का संचालन करती हैं । इसके जागरण से
– दिव्य चक्षु खुल जाते हैं (प्रज्ञा जागरण)
– Limbic system व Hypothalamus में जागृति आने से मस्तिष्क की सभी परतें खुल जाती है ।
– व्यष्टि सत्ता, समष्टि सत्ता से विलयन विसर्जन (मिलन) हेतु सक्षम हो जाती है ।
बीज मंत्र – ऊँ, तत्त्व – मनस् ।
ब्रह्म ग्रन्थि – विशुद्धि व आज्ञा चक्र का मिलन बिन्दु ।
सहस्रार दल कमल – located in Reticular Activating System. यहां से सहस्रों की संख्या में स्फुल्लिंग उठने के कारण सहस्रार कहा जाता है । इसे ब्रह्मलोक व ब्रह्मरंध्र भी कहते हैं ।
आज्ञा चक्र उत्पादन केंद्र होने के नाते इससे जुड़ा है । सहस्रार उत्तरी ध्रुव है जो ब्रह्माण्डीय चेतना से जुड़कर ब्रह्मानंद की प्राप्ति कराता है ।
अशब्दं, अरूपं, अस्पर्शं … अद्वैत/ एकत्व/ मिलन/ योग ।
जिज्ञासा समाधान
ज्ञानेन मुक्ति । अनुभव हीन तथ्य – जानकारी/ सूचना प्राप्त होने के उपरांत भी हम विवेक के अभाव में (lacking of practical and applied experiences) फंस सकते हैं। “Theory – Practical – Application” की त्रिवेणी में डुबकी लगावें @ जो जैसा सोचता है वैसा करता है और जैसा करता है वैसा ही बन जाता है ।
आहार (Nutrients, thoughts, emotions etc) हितकारी/ कल्याणकारी हों । good use का माध्यम बनें @ misuse/ overuse से परहेज ।
बहादुर + (अन्मय व प्राणमय कोश उज्जवल) + समझदार (मनोमयकोश उज्जवल) + ईमानदार (विज्ञानमयकोश उज्जवल) = जिम्मेदार @ संत/ सुधारक/ शहीद (आनंदमयकोश उज्जवल @ अखंडानंद/ ब्रह्मानंद) ।
Unconditional love @ वसुधैव कुटुम्बकम – We’ve to experience that nothing is worthless in the universe. We’ve to know their good use …..
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।।
सार-संक्षेपक: विष्णु आनन्द
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